दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदलती हैं गुदावल की मां कंकाली, हर भक्त की मनोकामना होती है पूरी।
लगभग 400 वर्ष पुराना है मां कंकाली देवी के मंदिर का इतिहास।
सीएल गौर, रायसेन। जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर और जिले के भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले ग्राम गुदावल में स्थित है । मां कंकाली का प्राचीन मंदिर, लगभग 400 वर्ष पुराने इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और भक्त यहां दूर-दूर से मां के दर्शन करने आते हैं। मां कंकाली के दरबार में लगभग 30 वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है मंदिर के पुजारी के रूप में पंडित भुवनेश्वर भार्गव जी यहां माता रानी की विधिवत पूजा-अर्चना नियमित रूप से कर रहे हैं इनके अलावा कई भर्ती भी मां कंकाली देवी की सेवा में अपना अमूल्य समय देकर धर्म का लाभ उठा रहे हैं। मां कंकाली के दरबार में जो भी भक्त सच्चे मन से पहुंचता है और मां के सामने अपनी अरदास सुनाता है तो मां कंकाली देवी उस भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। इसके अलावा मां कंकाली दरबार की एक विशेषता यह भी है कि मां दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदलती हैं और एहसास सिर्फ पहुंचे हुए भक्तों को ही होता है यहां दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर नवरात्रि के अलावा भी 12 महीने आते रहते हैं। इस मंदिर का निर्माण जन सहयोग के माध्यम से करीब 7 करोड रुपए की लागत से कराया जा रहा है।देश ही नहीं विदेशों से भी भक्त यहां मां के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण कराते हैं।नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है लेकिन मां कंकाली के दरबार में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है।सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए कोरोना की गाइड लाइन का पालन कराया जा रहा है तो,वही भक्तों को मास्क लगाने,सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए और भक्तों के हाथों को सैनिटाइज कराने के बाद टेंपरेचर चेक करने के बाद ही मंदिर में,दर्शन के लिए प्रवेश दिया जा रहा है और सुरक्षा की दृष्टि से यहां पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था की जाती है।पार्किंग के लिए भी अलग से व्यवस्था की जाती है तो मां कंकाली के दरबार में भक्तों के लिए रुकने के लिए आश्रय स्थल भी है तो वही भक्तों के लिए जिन भक्तों का व्रत होता है उनके लिए फलाहार की व्यवस्था की जाती और अन्य लोगों के लिए भोजन का प्रबंध भी मंदिर समिति की तरफ से किया जाता है।यहां भक्त अपनी हर मनोकामना पूर्ण होने के बाद फिर मां कंकाली के दर्शन करने पहुंचते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार चढ़ावा चलाते हैं। आपको बता दें कि मां कंकाली का मंदिर भोपाल से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर है तो,रायसेन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर उमरावगंज थाने के अंतर्गत आता है।मां कंकाली के इतिहास के बारे में जानकार बताते हैं कि लगभग 400 साल पहले हरलाल पटेल को सपने में मां कंकाली ने दर्शन दिए थे और कहा था कि जमीन में खुदाई करने के दौरान मुझे बाहर निकालो और स्थापना करो तब से लेकर आज तक मां कंकाली का मंदिर विशाल आकार लेता ही जा रहा है और भक्तों की आस्था का केंद्र बढ़ता ही जा रहा है। शारदीीय नवरात्र एवं चैत्र मास की नवरात्रि में यहां हजारोंंंं भक्तों की भीड़़ जमा होतीी है।