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गैस पीड़ित नीतियों के खिलाफ उमड़ा जन सैलाब

भोपाल गैस पीडित संघर्ष सहयोग समिति ने शुरु किया जनमत संग्रह
कांग्रेस व भाजपा की नीतियों के खिलाफ गैस पीड़ितों का अभियान

ब्यूरो, भोपाल.

गैस पीड़ित नीतियों के खिलाफ उमड़ा जन सैलाब
 यूनियन कार्बाइड और डाउ के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय राज्य और केंद्र सरकार अदालतों में मुकदमों को लटकाए है। अदालतों के सामने सही तथ्य और आंकडे पेश नहीं किए जा रहे हैं। किसी भी तरह से अमेरिकी कंपनियों को बचाने के लिए सच्चाई का गला घोंटा जा रहा है। इसके खिलाफ गैस पीड़ितों ने गैस कांड की 28 वीं बरसी से जनमत संग्रह की शुरुआत की, जिसके पहले ही दिन जनसैलाब उमड पडा।
भोपाल गैस पीडित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजक साधना कार्णिक की अगुवाई में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के सामने आयोजित संकल्प सभा में कांग्रेस-भाजपा की गैस पीड़ित एवं जनविरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ मांगों पर जनमत संग्रह अभियान की शुरूआत की गई। पहले ही दिन 2 हजार से ज्यादा मत डाले गए। 
इस मौके पर सीटू के जिला सचिव पीएन वर्मा, पूषण भट्टाचार्य, उर्मिला, सुल्ताना, सरवर अंसारी, उमा शंकर आदि ने संबोधित करते हुए जनमत संग्रह अभियान के बारे में बताया। अभियान से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट, मुख्य न्यायाधीश मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, केन्द्रीय मंत्री समूह, मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाएगा। इन्होंने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारो ने अमरीकापरस्त जन विरोधी तथा गैस पीड़ित विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण 28 वर्ष बाद भी पीडितों को न्याय से वंचित रखा है। आज भी अमेरिकी कंपनी डाउ-यूसीसी द्वारा फेंका गया जहरीला कचरा नहीं हटाया गया है तथा क्षेत्र के पीड़ित जहरीला पानी पीने को मजबूर है।

जनमत अभियान की मांगें
-गैस कांड हेतु जिम्मेदार अमेरिका परस्त आर्थिक नीतियां बंद करों।
-सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार द्वारा दायर सुधार याचिका में गैस पीडित बीमारों तथा मृतकों के झूठे आंकडे दुरूस्त करो
-वर्ष 1992 से बंद गैस पीडित मृत्यु पंजीयन तुरंत चालू करों।
-5 लाख गैस पीडितों को सही मुआवजा दो।
-भोपाल नरसंहार के दोषी डाउ-यूसीसी के अपराधियों का भारत प्रत्यर्पण कर सजा दो।
-भूगर्भीय जल स्त्रोतों के प्रदूषण का निर्धारण करके पीने का साफ पानी दिया जाए।
-जहरीले कचरे के सफाई का हर्जाना डाउ-यूसीसी से वसूल करों।
-आईसीएमआर द्वारा संचालित नीरे में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच
-गैस पीडितों के सही इलाज हेतु सभी बंद रिसर्च पुन: चालू करो।
-बीएमएचआरसी व अन्य गैस राहत अस्पताल के सभी बंद विभाग चालू करो।
-गैस के जेनेटिक प्रभाव से प्रभावित बच्चों, युवाओं व लडकियों की चिकित्सा, पुनर्वास, शिक्षा व रोजगार की व्यवस्था।
-गंभीर बीमार गैस पीडितों को प्रतिमाह हजार रुपए की पेंशन दी जाए

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