जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना के जरिये सुदूर गाँवों की महिलाएँ स्व-सहायता समूहों में संगठित होकर आजीविका संवर्द्धन एवं आय-अर्जन की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। विंध्य अंचल के रीवा जिले में महिलाओं को पेडल मशीन से अगरबत्ती बनाकर टिकाऊ आजीविका से जोड़ने का सार्थक प्रयास किया गया है। महिलाओं द्वारा डीपीआईपी की मदद से गठित अक्षर अगरबत्ती निर्माण सहकारी समिति के जरिये अभी तक लगभग 30 टन अगरबत्ती बनाकर इसकी बिक्री से मुनाफा हासिल किया गया है। समिति का पिछले वित्तीय वर्ष का टर्न-ओवर लगभग 24 लाख रुपये का रहा है। महिलाओं की समिति द्वारा केवल दो माह में ही सेंटेड अगरबत्ती की बिक्री से 2 लाख 80 हजार रुपये का व्यवसाय किया गया है।
स्व-सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा 'नमामि' ब्राण्ड अगरबत्ती बनाकर बेचने की इस आजीविका गतिविधि का अवलोकन हाल ही में प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती अरुणा शर्मा ने रीवा जिले के जौरी गाँव में किया। उन्होंने महिलाओं से अगरबत्ती बनाने और बिक्री करने, अक्षर अगरबत्ती सहकारी समिति के संचालन तथा कार्य-प्रणाली के संबंध में चर्चा करते हुए इस प्रयास की सराहना की।
इस कार्य की शुरूआत जिले के जोरी एवं खीरा गाँव की संगठित महिलाओं द्वारा की गई है। दोनों गाँवों की लगभग 65 महिलाएँ इस काम में जुड़ी हैं।
शिवकली समेत लगभग एक दर्जन महिलाओं ने हाल ही में नई दिल्ली के प्रगति मैदान पर आयोजित 'राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन' क्रियान्वयन संबंधी समारोह में भाग लिया।