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कलावती आजीविका मिशन से जुड़ी तो दो बार मिला गोपालन पुरस्कार

भोपाल। नरसिंहपुर जिले के विकासखंड चांवरपाठा में वर्षों से परम्परागत तरीके से पशु-पालन द्वारा दूध का व्यवसाय करती आ रही कलावती पटेल अपने कारोबार को बढ़ा नहीं पा रही थी। कलावती जब आजीविका मिशन के स्थानीय नर्मदा स्व-सहायता समूह से जुड़ी, तो उसके कारोबार ने रफ्तार पकड़ी। आज कलावती के पास 5 गाय-भैस हैं। इनसे प्रतिदिन 35-40 लीटर दूध मिलता है, जिसे बाजार में बेचकर कलावती बड़ी आसानी से प्रतिमाह 20 हजार रुपये से अधिक आमदनी प्राप्त कर रही है। इसे अधिक दुग्ध उत्पादन के लिये राज्य सरकार की ओर से दो बार गोपालन पुरस्कार भी मिला है।

कलावती के पास शुरू में केवल दो भैंसे थी, जिनसे परम्परागत रूप से दुग्ध का व्यवसाय करती थी। इससे उसे पर्याप्त आमदनी नहीं हो पाती थी। कलावती ने नर्मदा स्व-सहायता समूह से जुड़कर सीआईएफ से 25 हजार रूपये लोन लेकर एक और भैंस खरीदी। इससे उसके दुग्ध व्यवसाय में बढ़ोत्तरी होने लगी। उसने पुन: बैंक लिंकेज से 22 हजार रूपये का लोन लेकर दुग्ध उत्पादन का कारोबार बढ़ाया।

राज्य सरकार ने कलावती के उत्साह और लगन को देखा। उसे अधिक दुग्ध उत्पादन केलिये दो बार गोपालन पुरस्कार से सम्मानित भी किया। योजना के अंतर्गत कलावती को 22 हजार रूपये पुरस्कार भी मिला। साथ ही अधिक उत्पादन के लिये भी पुरस्कार स्वरूप 21 हजार रूपये मिले। कलावती ने पुरस्कार में प्राप्त धन राशि और ऋण राशि को मिलाकर अपने पशु-पालन और दुग्ध व्यवसाय को बढ़ाया। अब कलावती की इच्छा है कि वह उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्राप्त कर बड़े पैमाने पर डेयरी व्यवसाय करे।


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