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मंत्रालय परिसर में बढ़े पैमाने पर पौध-रोपण

भोपाल। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की उपस्थिति में आज मंत्रालय वल्लभ भवन II के पास दुर्लभ प्रजातियों के पौधों का बड़े पैमाने पर रोपण किया गया। 'हरा भोपाल-शीतल भोपाल' कार्यक्रम के अर्न्तगत कार्यक्रम में मंत्रि-परिषद के सदस्य भी शामिल हुए। प्रदेश की संकटापन्न, लुप्तप्राय: तथा दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण और संर्वधन के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम में लगभग 30 प्रजातियों के पौधों का रोपण किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के वन-क्षेत्रों में 216 वृक्ष प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से 32 प्रजातियाँ संकटापन्न लुप्तप्राय: एवं दुर्लभ प्रजातियों की श्रेणी में आ चुकी हैं।

पौध-रोपण कार्यक्रम में विधानसभा उपाध्यक्ष सुश्री हिना कांवरे, संस्कृति एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ, लोक निर्माण मंत्री श्री सज्जन सिंह वर्मा, सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह, पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक कल्याण मंत्री श्री आरिफ अकील, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, राजस्व एवं परिवहन मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत, महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती इमरती देवी, जनजातीय कार्य मंत्री श्री ओमकार सिंह मकराम, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, वन मंत्री श्री उमंग सिंघार, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्धन सिंह, उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री जीतू पटवारी, जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा, खाद्य-नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री सचिन यादव शामिल हुए।

कमिश्नर भोपाल संभाग श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने इस मौके पर बताया कि पौध रोपण में प्रदेश की लुप्तप्राय: तथा दुर्लभ वृक्ष प्रजातियों दहिमन, शल्यकर्णी, मेंदा, सोनपाठा, गरूड़ वृक्ष, बीजा, कुंभी, केंकड, पाडर, कुल्लू, रोहिना, शीशम, धवा, सलई, भिलमा, पलाश, धनकट, कुचला, अंजन, मोखा, तिन्सा, खरहर, भेड़ार, अचार, कुसुम, भुडकुट, हल्दू, खटाम्बा, बड़ इत्यादि के पौधों का रोपण किया गया। इन प्रजातियों के संरक्षण से जैव-विविधता को बनाए रखने और संवर्धन में सहायता मिलेगी। यह प्रजातियाँ औषधीय तथा वन्य प्राणियों के लिए महत्तवपूर्ण हैं। स्थानीय वनवासियों की परंपराओं, रीति-रिवाजों और विभिन्न आवश्यकताओं में इनका योगदान है। जैव-विविधता के दृष्टिकोण से भी स्थानीय परिस्थितिकीय तंत्र में इनका महत्तवपूर्ण स्थान है।

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