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हाईकोर्ट ने पूछा- हर 10 से 11 दिन में एसआईटी के प्रमुख और सदस्य क्यों बदले जा रहे हैं, गृह सचिव से लिखित जवाब मांगा


इंदौर। मध्यप्रदेश के चर्चित हनीट्रैप मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बार-बार एसआईटी (विशेष जांच दल) के प्रमुख बदलने को लेकर राज्य सरकार से सवाल किया। हाईकोर्ट ने पूछा कि मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख और सदस्यों को 10 से 11 दिन के भीतर क्यों बदला जा रहा है। इसके पीछे क्या ठोस वजह है।
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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के गृह विभाग के सचिव को इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट और सदस्यों को बदलने का कारण लिखित में कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट 21 अक्टूबर के पहले पेश करना है। 21 अक्टूबर को ही कोर्ट इस मामले पर फिर सुनवाई करेगी।

एडवोकेट अशोक चितले, मनोहर दलाल, लोकेंद्र जोशी ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने और जांच की निगरानी हाईकोर्ट से कराने की मांग को लेकर आवेदन दाखिल किया था। इसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिए।

आवेदन में सवाल उठाया गया है कि इतने गंभीर मामले में सरकार बार-बार एसआईटी टीम में बदलाव क्यों कर रही है। सरकार की प्रक्रिया को देखते हुए इसे बाहर की एजेंसी के हवाले कर देना चाहिए। सरकार अपनी पसंद के अधिकारी से मनमानी जांच करवाना चाहती है। हर अधिकारी अपनी तरह से जांच शुरू करता है और कुछ दिन में उसे हटा दिया जाता है।

हनीट्रैप मामले की जांच के लिए डीजीपी ने 23 सिंतबर को एसआईटी गठित की थी। इसका चीफ आईजी सीआईडीडी श्रीनिवास को बनाया गया था। लेकिन, अगले ही दिन एसआईटी का चीफ बदल दिया गया। डी श्रीनिवास की जगह संजीव शमी को चीफ बनाया था। इसके बाद संजीव शमी को हटाकर राजेंद्र कुमार को एसआईटी का प्रमुख बनाया गया।
क्या है हनीट्रैप मामला?
इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन की 3 करोड़ रुपए मांगने की शिकायत पर भोपाल और इंदौर पुलिस ने कार्रवाई कर ब्लैकमेलिंग करने वाली पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया था। ये महिलाएं अफसरों और नेताओं के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थीं। इस हाईप्रोफाइल मामले में एक पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व सांसद, भाजपा और कांग्रेस से जुड़े नेता और नौकरशाहों के फंसे होने की बात कही जा रही है। हालांकि अब तक इस मामले में किसी का नाम सामने नहीं आया है।

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