नई दिल्ली। बांग्लादेश के अनुभवी ऑलराउंडर शाकिब-अल-हसन पर आईसीसी ने दो साल का बैन लगाया है। शाकिब से 2018 में सटोरियों ने संपर्क किया था। शाकिब ने इसकी जानकारी न तो बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड को दी, ना ही आईसीसी को। शाकिब जैसे अनुभवी खिलाड़ी का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार चौंकाने वाला रहा। साथ ही इस पूरे प्रकरण ने फिर से सिस्टम में बसे भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
टी20 और टेस्ट के कप्तान शाकिब के जाने से बांग्लादेश की टीम को पहला झटका भारत दौरे पर ही लगा है। शाकिब अब ना तो टी20 टीम का हिस्सा होंगे, ना ही टेस्ट टीम का। पिछले काफी समय से वे टीम के टॉप परफॉर्मर रहे हैं। बांग्लादेश को उनकी कमी खलेगी। खासतौर पर ये देखते हुए कि एक साल में वर्ल्ड टी20 भी आने वाला है।
यहां यह बात ध्यान रखने वाली है कि शाकिब के खिलाफ फिक्सिंग का चार्ज नहीं है। उनकी गलती यह रही कि जब सट्टेबाजों ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने इसकी जानकारी बोर्ड को नहीं दी। हालांकि जब आईसीसी फिक्सिंग और सट्टेबाजी को लेकर जीरो-टॉलरेंस की पॉलिसी अपना रहा है तो शाकिब की इस गलती को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। बल्कि शाकिब की तो दो साल की सजा में से एक साल की सजा सस्पेंड है। यानी ये भी कहा जा सकता है कि वे हल्के में छूट गए।
शाकिब को मिली सजा में पूरे क्रिकेट जगत के लिए तमाम सबक छिपे हुए हैं। पहला- सट्टेबाजों और भ्रष्टाचारियों की अभी भी टीमों के कप्तान और सीनियर खिलाड़ियों तक पहुंच कितनी आसान है। उन्हें यही लगता है कि कप्तान और सीनियर खिलाड़ी टीम की स्ट्रेटजी के बारे में सबसे सटीक जानकारी दे सकते हैं, इसीलिए इन्हें आसान लक्ष्य माना जाता है।
