नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि जो कोई भी मोदी-शाह के नफरत भरे एजेंडे का विरोध करता है उसे ‘अर्बन नक्सल' करार दे दिया जाता है। उन्होंने ट्वीट किया कि भीमा-कोरेगांव की घटना प्रतिरोध का प्रतीक है, जिसे सरकार की संस्था एनआईए कभी नहीं मिटा सकती। राहुल गांधी ने दोनों नेताओं के लिए मोश (मोदी-शाह) का इस्तेमाल किया।
राहुल गांधी का यह बयान तब आया जब सरकार ने शुक्रवार को 2018 में हुई भीमा-कोरेगांव की हिंसक घटना की जांच के लिए नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी। इससे एक दिन पहले, महाराष्ट्र सरकार ने पुणे पुलिस अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को लेकर समीक्षा बैठक की थी। केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर राज्य सरकार ने नाराजगी प्रकट की। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना मामले की जांच एनआईए को सौंप दी, यह संविधान के खिलाफ है। पिछले दो साल से भीमा कोरेगांव से जुड़े सभी मामलों की जांच महाराष्ट्र पुलिस कर रही थी।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने को सही कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह सही फैसला है, क्योंकि मामला सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है। यह पूरे देश में बढ़ रहा है। जांच से देशभर में फैले अर्बन नक्सलियों का खुलासा होगा।”
प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश रहे थे आरोपीः चार्जशीट
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अरुण थॉमस फेरेरिया, रोना जैकब विल्सन, सुधीर प्रल्हाद धवले समेत 19 आरोपी हैं। पुलिस द्वारा अदालत में कुछ महीने पहले पेश की गई ड्राफ्ट चार्जशीट के मुताबिक, आरोपी पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या की तरह ही रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे। आरोपियों में मानवाधिकार वकील, शिक्षाविद और लेखक शामिल हैं। पुलिस ने इनका संबंध प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी), कबीर कला मंच (केकेएम) से बताया है।
1 जनवरी 2018 में पुणें में हिंसा हुई थी
31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन 1 जनवरी 2018 को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के निकट हिंसा हुई थी। इसमें एक युवक की जान चली गई थी। साथ ही करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ था।