मुंबई। दिव्यांगता शरीर में तो हो सकती है, मगर जो लोग अपने दिल व दिमाग पर इसे हावी नहीं होने देते वह दुनिया के लिए मिसाल बन जाते हैं। अब जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी सुमित अंतिल को ही ले लीजिए। टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में सोमवार को सुमित अंतिल ने देश को दूसरा गोल्ड मेडल दिलाया। सुमित ने जैवलिन थ्रो की F64 कैटेगरी में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उन्होंने फाइनल में 68.55 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ मेडल जीता।
हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले सुमित अंतिल का जन्म 7 जून 1998 को हुआ था। सुमित जब सात साल के थे, तब एयरफोर्स में तैनात उनके पिता रामकुमार की बीमारी से मौत हो गई थी। पिता का साया उठने के बाद मां निर्मला देवी ने गरीबी और हर दुख सहन करते हुए अपने चारों बच्चों का पालन पोषण किया। सुमित चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं।
सुमित की मां निर्मला देवी के मुताबिक, सुमित जब 12वीं कक्षा में कॉमर्स का ट्यूशन लेता था। 5 जनवरी 2015 की शाम को वह ट्यूशन लेकर बाइक से वापस घर आ रहा था, तभी सीमेंट के कट्टों से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली ने सुमित को टक्कर मार दी थी और काफी दूर तक घसीटते हुए ले गई थी। इस हादसे में सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा। कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद निर्मला देवी, सुमित को 2016 में पुणे लेकर गईं जहां उनको नकली पैर चढ़वाया गया।