भोपाल। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव सोमवार को उज्जैन के कालिदास अकादमी के पं.सूर्यनारायण संकुल सभागृह में प्रदेश में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की संभाग स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला में शामिल हुए। मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के स्वाभिमान, सम्मान और अभिमान की परिचायक है। हम शिक्षा को देश के अनुकूल बनाना चाह रहे हैं। शिक्षा प्राप्त करने के बाद व्यक्ति योग्य नागरिक बने तथा उसके सामने आजीविका का संकट खड़ा न हो, इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है। मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि आजादी के बाद दो बार हमारे देश में शिक्षा नीति लागू की गई, किन्तु दोनों ही बार इसके विपरीत परिणाम दिखाई दिये। अत: सन 2020 में देश में गहन विचार-विमर्श करके हमारी ऋषि परम्परा को प्रकट करने वाली शिक्षा नीति लागू की गई है। मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि सन 1835 में अंग्रेज सरकार के दौरान लॉर्ड मैकाले के नेतृत्व में हमारे देश में स्कूलों का पाठ्यक्रम तैयार किया गया था और हमारी प्राचीन शिक्षा नीति को बदलने का प्रयास किया गया, लेकिन वर्तमान में प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में पुन: हमारी संस्कृति से जुड़ी शिक्षा नीति लाने का प्रयास किया गया है। कई सुझाव और लम्बे चिन्तन के बाद नई शिक्षा नीति लागू की गई है। मध्यप्रदेश का मॉडल पूरे देश के लिये प्रेरणा बनेगा।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.सत्यनारायण जटिया ने कहा कि शिक्षक जब शिक्षा देता है तो उनका भी प्रशिक्षण होता है। क्या, क्यों और कैसे का समाधान है शिक्षा में। वर्तमान में इनोवेटिव शिक्षा को लागू करने की आवश्यकता थी। इसी को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति लागू की गई। सामाजिक न्याय के लिये शिक्षा बहुत जरूरी है। भारत युवाओं का देश है। बहुआयामी प्रतिभाओं का विकास करना बेहद जरूरी है। नई शिक्षा नीति निश्चित रूप से नये भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने कहा कि मध्यप्रदेश में नई शिक्षा नीति की पहली कार्यशाला उज्जैन में हो रही है। यह नीति अत्यन्त सार्थक सिद्ध होगी। हमारे देश की प्राचीन शिक्षा पद्धति पूरे विश्व में प्रख्यात है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति लागू की गई है। निश्चित रूप से नई शिक्षा नीति एक नये भारत का निर्माण करेगी। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई इबारत लिखी जायेगी।