जिला अस्पताल और पुलिस की लापरवाही फिर हुई उजागर
घायल लगाता रहा गुहार न इलाज मिला न हुए मृत्यु पूर्व बयान
मानवाधिकार हनन का मामला आया प्रकाश में
पथरिया। तहसील के ग्राम नेंगुवा से तीन दिन पहले दो पक्षों में विवाद का मामला सामने आया था जिसमें गांव के संतोष प्रजापति व उनके परिवार सदस्यों को गम्भीर रूप से घायल कर दिया था और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पथरिया पहुंचने में भी अड़ंगा डाला था, घायल लोग जब थाने पहुंचे तो पुलिस ने भी करीब 5 घण्टे बाद प्राथमिकी दर्ज की और पूरे प्रकरण की गहनता से जानकारी भी हासिल नहीं कि गई, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ इसके बाद घायलों को जिला अस्पताल दमोह में भेजा गया जहां पीड़ितों को सही उपचार नसीब नहीं हुआ और उनकी पीड़ा पर किसी ने ध्यान नहीं दिया,इनमें से जब संतोष प्रजापति कि तबियत ज्यादा खराब हुई तो आनन फानन में आईसीयू में भर्ती करने के कुछ समय बाद जबलपुर पहुंचा दिया, जहां 12 अक्टूबर की सुबह घायल ने अंतिम सांस ली।
गौरतलब है कि समाचार पत्र में पहले भी इस लापरवाही को उजागर किया गया था फिर भी इस मामले को लेकर पुलिस और जिला अस्पताल ने गंभीरता नहीं दिखाई और अस्पताल में दो दिन से भर्ती होने के बाद भी न ही उचित इलाज किया गया न उसके बयान लिये गए औ? उसकी मृत्यु हो गई जो कहीं न कहीं मानवाधिकार के हनन को परिलक्षित करता है।मृतक के पुत्र सुनील ने बताया था किपडोस में रहने वाले लोगों ने दरवाजे तोड़ कर घर में प्रवेश किया और परिवार को बहुत मारा, यहां तक कि जब एम्बुलेंस आई तो उस तक भी पहुंचने नहीं दिया था और मारते रहे बमुश्किल अस्पताल पहुंचें थे,वहां से जिला अस्पताल गए वहां भी इलाज नहीं मिला।
चौराहे पर लाश रखकर की न्याय की मांग
शुक्रवार शाम को जैसे ही मृतक संतोष प्रजापति को जबलपुर से लेकर उसके परिजन लौटे तो पथरिया के संजय चौराहे पर लाश रखकर रोते औ? बिलखते हुए उन्होंने न्याय की मांग की औ? दोषी पुलिस कर्मियों पर भी कार्यवाही की आवाज बुलंद की। परिजन लगातार यह कहते रहे कि बलिचन्द, गोविंद,कुलदीप ने घर के दरवाजे तोड़कर सदस्यों को बहुत मारा फिर मोहन, प्रदीप, काशीराम, कमल, जग्गू, भरत,नीलेश,दरबारी,जगदीश व अन्य को बुलवा कर मारपीट करते हुए घायल कर दिया व जान से खत्म करने का प्रयास करते रहे इनका कहना था कि अब उनकी जान को खतरा है उनकी सुरक्षा कौन करेगा, जिम्मेदारी कौन लेगा। थाना प्रभारी,वीरेंद्र मुंशी,बाबू ने रुपये मांगे थे और रिपोर्ट देर से लिखी गई जब दमोह के जिला अस्पताल से मुंशी को फोन किया कि संतोष प्रजापति के बयान ले लो उनकी तबियत खराब होती जा रही है तो मुंशी ने आने से मना कर दिया अब इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। इस पूरे मामले में पथरिया पुलिस और जिला अस्पताल प्रबंधन की भूमिका पर भी उंगलियां उठती रही।
म आई हुआ धड़कन अनियंत्रित हुई बीपी घटा,उपचार दिया गया,धड़कन कंट्रोल किया बीपी बढ़ाया जब आॅक्सीजन लेवल प्रॉपर आया तब शिफ्ट किया,उस समय मरीज बयान देने की स्थिति में नहीं था।
डॉ. डी पटेल
जिला चिकित्सालय दमोह
कार्डिक प्रॉब्लम थी,ट्रीटमेंट दिया,फाइल से पता चलेगा कि पुलिस ने बयान लिया की नहीं।
डॉ एच ठाकुर
जिला चिकित्सालय दमोह