भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जन-सेवा ही हमारा प्रण है, जनता का कल्याण और देश का उत्थान ही हमारे लिये सर्वोपरि है। मध्यप्रदेश में अच्छी शिक्षा देने के लिए नये विद्यालय खोले जा रहे हैं, जिससे बच्चों को बेहतर और आधुनिक शिक्षा मिलेगी। आयुर्वेदिक औषधियों के लिए मध्यप्रदेश में देवारण्य योजना बनाई गई है। मैंने पर्यावरण संरक्षण के लिये रोज एक पेड़ लगाने का संकल्प लिया है। यह मेरी दिनचर्या में शामिल है। आज भी मुझे देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के परिसर में पौधा लगाने का सौभाग्य मिला। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज देव संस्कृति विश्वविघालय शांतिकुंज हरिद्वार स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजित व्याख्यान माला को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मुझे हमेशा बेटियों की चिंता रहती है। मैंने बेटियों को गोद लिया उन्हें पाला-पोसा और उनका विवाह भी कराया। जब मैं मुख्यमंत्री बना तो लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरूआत हुई। आज प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश में 41 लाख लाड़लियाँ हो चुकी हैं। इसी योजना के सुखद परिणाम हैं कि मध्यप्रदेश में बेटा-बेटियों के लिंगानुपात में समानता आई है। बेटियाँ अब बोझ नहीं वरदान हैं। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में एक नया आनन्द विभाग बनाया गया है। ओंकारेश्वर में अद्वैत वेदांत का बड़ा संस्थान बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विश्वविद्यालय परिसर में "परम पूज्य गुरू देव का जीवन-दर्शन" विषय पर अपने संबोधन में कहा कि गुरु के घर में मैं मेहमान कैसे हो सकता हूँ। मैं इस विराट परिवार का सदस्य हूँ। मैं जो कुछ अच्छा कर पा रहा हूँ, वह पूज्य गुरुदेव की कृपा से कर पा रहा हूँ। जब पश्चिम के देशों में सभ्यता का सूरज नहीं उगा था, तब हमारे यहाँ वेदों की ऋचाएँ रची जा रही थी। तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे, ऐसे प्राचीन और महान राष्ट्र के हम नागरिक हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि यह, वह धरती है जिसने कहा “एकं सद् विप्रा बहुधा वदंति”। हमने कभी अपनी विचारधारा थोपी नहीं है। हम उस सनातन परंपरा से आते हैं जहाँ हजारों साल पहले इस धरती ने कहा “वसुधैव कुटुम्बकम”। यह धरती विश्व-कल्याण की बात करती है। इस धरती को प्रणाम, यहाँ के ऋषियों को प्रणाम।