Type Here to Get Search Results !

शिक्षा व्यवस्था की उपयोगिता बनाए रखने के लिए गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी : डॉ प्रशांत द्विवेदी

भोपाल। बदलते वैश्विक परिवेश में देश की शैक्षणिक व्यवस्था की पहचान और महत्व बनाए रखने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है। यह भी देखना आवश्यक है कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक परिवेश के अधिक से अधिक विद्यार्थियों की शैक्षणिक संस्थाओं तक पहुँच आसान हो। नैक की मूल्यांकन और प्रत्यायन प्रक्रिया उच्च शिक्षा संस्थानों को अपनी ताकत, उपलब्ध अवसर तथा चुनौतियों की पहचान करने और उन पर काम करने में मदद करती है। यह विचार राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की मूल्यांकन और प्रत्ययन व्यवस्था पर हुई राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उप सचिव डॉ. प्रशांत द्विवेदी ने व्यक्त किए।

श्री सत्य साईं महिला महाविद्यालय भोपाल द्वारा आयोजित शोध संगोष्ठी में रामदेव बाबा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट नागपुर के प्राचार्य डॉ. राजेश पांडे ने कहा की नैक का ढाँचा व्यापक है और उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में वृद्धि के लिए व्यवहारिक मार्गदर्शन प्रदान करता है। महाविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी के हाइब्रिड मोड में सफल आयोजन को सराहा गया।

राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में 3 तकनीकी सत्र हुए, जिसमें डॉ. उषा नायर और डॉ. एच.के. गर्ग वक्ता के रुप में सम्मिलित हुए। संगोष्ठी में शोधार्थियों द्वारा 12 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. आशा अग्रवाल द्वारा अतिथियों के स्वागत किया गया। संगोष्ठी की रूपरेखा आइक्यूएसी की समन्वयक डॉ. रेनू मिश्रा तथा सह समन्वयक डॉ. नीना अरोरा ने प्रस्तुत की। शोध पत्र सत्र की अध्यक्षता शासकीय सरोजिनी नायडू महाविद्यालय भोपाल की प्राध्यापक डॉ. अनुपमा रावत ने की। शासी परिषद की अध्यक्ष डॉ. मीना पिंपलापुरे और महाविद्यालय की समस्त अकादमिक फैकल्टी उपस्थित रही।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.