किसानों ने कहा बीजों के साथ आया वायरस, ज्यादा बारिश और उमस से भी हुआ नुकसान
भोपाल। औसत से कई गुना ज्यादा बारिश और बीच-बीच में तीखी धूप निकलने के नतीजे में प्रदेश में मिर्ची की फसल तबाह हो गई। किसानों की माने तो अचानक मौसम परिवर्तन के साथ ही अमेरिकी कंपनियों के बीजों के कारण भी नुकसान हुआ। मिर्ची में अमेरिकी वायरस के कारण पौधे मुर्झाकर ऐंठन आ गई और पत्तियां मुड़ गई, जिससे मिर्ची नहीं लगने पर किसानों को खड़ी फसल में जुताई करनी पड़ी।
सूबे के निमाड़ इलाके के मिर्ची उत्पादक किसानों के लिए यह साल बर्बादी लेकर आया। किसानों ने महंगे दामों पर मिर्ची के बीच खरीदे और पौध तैयार की। इसके बाद रोपाई की गई। इस दौरान उर्वरक के साथ ही सिंचाई की मुकम्मल तैयारी की गई थी। अचानक ही इस साल बारिश ने पिछले कई रिकॉर्ड तोड़ दिए, जिसका सीधा असर फसलों पर पड़ा। खासकर मिर्ची की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई। इक्का दुक्का किसानों को ही एक बार मिर्ची तोड़ने का मौका मिल पाया, जिसके बाद अमेरिकी वायरस के कारण पैदावार नही हो सकी।
रोटरी करवानी पड़ी
धार जिले की कुक्षी तहसील के बड़दा गांव के किसान बाबू सिंह के अनुसार अमेरिकी कंपनी सिजेंटा का बीज लिया था। इसको पौध बनाने के बाद जून माह में रोपा गया था, लेकिन सिर्फ एक ही बार मिर्ची की तुड़ाई हो सकी। बाद में मिर्ची के पौधे में ऐंठन शुरू हो गई और पत्ते मुर्झाकर सिकुड़ गए। इसके बाद मिर्ची नहीं लगने पर मजबूरी में सारे पौधे उखाड़ कर फेंकने के साथ ही रोटरी करवाई, ताकि खेत को खाली करके दूसरी फसल लगाई जा सके।
मध्यप्रदेश में मिर्ची उत्पादक क्षेत्र
सामान्यत: निमाड़ क्षेत्र को मिर्ची का सबसे बड़ा उत्पादक कहा जाता है। इसमें भी कुक्षी, धार, मनावर, बड़वानी, राजपुर, अंजड़, खरगोन आदि इलाकों में सर्वाधिक उत्पादन होता है।




 
 
 
 
 
 
 
 
 
