ग्वालियर। में वृक्षारोपण में हुए गोलमाल में चार कर्मचारी श्री टी०एन० भारद्वाज (वनपाल) , रमेश शर्मा (वनपाल) , विनोद श्रीवास्तव (वनरक्षक) , विनोद शर्मा (वनरक्षक) को न्यायालय से 3 साल की सजा और आर्थिक दंड से दंडित भी किया गया है । प्रश्न यह उठता है कि , कर्मचारियों ने यह गोलमाल क्यों किया , क्या मात्र निजी लाभ के लिए या अन्य किसी उच्च अधिकारी के लिए ? वन वित्तीय नियमो में प्रावधान है कि , वन मंडल अधिकारी स्वयं और अधिनस्थों के व्यय के लिए भी जिम्मेदार होता है , फिर ग्वालियर सामाजिक वानिकी के DFO वी०डी० शंखवार किस आधार पर बचे रहे हे । हम सभी जानते है कि , रेंजर और उनसे निचले कर्मचारियों के कारण ही वरिष्ठ अधिकारी मालामाल हो रहे है । ऐसे अधिकारियों की पोल खोलने हेतु सुनील जैन रेंजर , बेतुल ने एक साहसिक कदम उठाते हुए उनके पूर्व CCF अनिल सिंह को बेनकाब करने का प्रयास किया गया है , जिसे कई वरिष्ठ अधिकारियों और धन शक्ति के बदले कुचलने के प्रयास शुरू हो गए है , जो अकेले वीर अभिमन्यु के समान कोरावो से घिर गए हे , जिसका कुछ कर्मचारियों द्वारा भी वन संरक्षक के निर्देशों पर ए०के० सिंह के पक्ष में बयान भी जारी किए है । जब तक सुनील जैन के द्वारा लगाए गए आरोपो का निराकरण नहीं हो जाता । कर्मचारियों को एक जुट होकर प्रतिकार अपेक्षित था , रेंजर एसोसिएशन भी चुप्पी साधे हुए है , क्या रेंजर भी निजी स्वार्थ या भय के कारण चुप थे । जब आजाद सिंह डबास के खरगोन के भ्रष्टाचार अजीत श्रीवास्तव , सी०के० पाटील के सामाजिक वानिकी , ग्वालियर में ओजार खरीदी में , किरण बिसेन जी के छिंदवाड़ा में आदिवासी योजना में 1 करोड का पालिता लगाने वासु कनोजिया को PCCF वाइल्ड लाइफ से जारी आरोप पत्र अन्य DFO के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई या उन्हें लघु सस्ती से नवाजा गया है परंतु श्री खेनवार रेंजर को CCF होशंगाबाद द्वारा जारी आधारहीन नोटिस के कारण अपने पदोन्नति से वंचित रहना पड़ा । आर०आर० सोनी को CCF बी०के० सिंह के कारण रेंजर पद से वंचित किया गया । अजय पांडे DFO ने स्वयं Rs 1763400 /- का घोटाला किया परंतु उसकी जांच की आंच रेंजर अंशु सोनी बैरवा और डिप्टी रेंजर हरगोविंद मिश्रा को झेलनी पड़ रही है , जिसके कारण वे अपने पदोन्नति से वंचित कर दिए गए है , यहां तक कि DFO अजय पांडे ने पद के नशे में सेवा में उपस्थित वन रक्षक सौरभ मसीह को रेंजर से फरार बता कर न्यायलय से फरारी का वारंट निकलवाया , जिससे वन रक्षक का जीवन नष्ट हो जाता , परिवार भूखे मरने को हो गया । बिना किसी कारण से मुकेश मकोडिया (वनरक्षक) , बी०एम० यादव (वनपाल) को DFO अजय पांडे ने निलंबित कर अपमानित किया , उसका खुद का गरीब आदिवासियों के लाभांस की 3,54 करोड़ की योजना मटिया मैट करने के बावजूद पदोन्नत कर दिया जाता है ।
जब नियमो में व्यय की लिए जिम्मेदारी DFO की है , तो मात्र अधीनस्थ कर्मचारी क्यों अकेले दंड भोग रहे है । DFO कनिष्ठ अधिकारियों के कंधे पर बंदूक रख कर मोज उड़ाते ही है , परेशानी रेंजर भुगत रहे है । ग्वालियर में अभी बर्खास्त वनरक्षक विनोद श्रीवास्तव के परिवार को कोन सहारा देगा , CCF ग्वालियर ने भी नैसर्गिक न्याय के नियम को नजर अंदाज कर बिना विनोद श्रीवास्तव को उच्च न्यायलय जाने के अवसर की समय अवधि को दिए बिना बर्खास्त भी कर दिया है । क्या ऐश्वर्य पूर्ण जीने का अधिकार वरिष्ठ वर्ग का ही है , जो उसके लिए छोटे कर्मचारियों द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करा रहे है ।
सी०के० पाटिल ने उमरिया में अपने ही ड्राइवर मानसिह , रेंजर ललित पांडे का जीवन बर्बाद करने का प्रयास किया , जो उनके पदीय घमंड का परिचायक है , जिसकी सजा विभाग ने नही दी है अपितु न्यायलय द्वारा इस प्रकार के वरिष्ठों के दलाल को बेनकाब किया है ।
श्री ललित पाण्डेय तत्कालीन रेंजर को जबरदस्ती श्री पाटील साहब ने निलंबित कराया , उनका मुख्यालय उज्जैन कराया , उनके खिलाफ एफ०आई०आर० कराने की साजिश रचने लगे । श्री ललित पांडे जी मेरे पास सिंगरौली में थे , उन्होंने पूरी घटना बताया था कि , रणनीति के तहत जो अधिकारी छोटे कर्मचारियों को मुर्गी - साग समझते है , उनके ऊपर अत्याचार करते है । आज लोगों ने सिद्ध कर दिया की यदि हम किसी को टारगेट करेंगे । अब पता चलेगा कि , दूसरों का दर्द कैसा होता है , कोई भी अधिकारी ऐसी कार्यवाही करने के लिए तेराह बार सोचेगा । यह लोग कहीं भी जाए , हाई कोर्ट के निर्देशानुसार कार्यवाही हुई है , मजिस्ट्रेट जांच इनके विरुद्ध सिद्ध है तब जाकर न्यायालय ने कठोर सजा सुनाई है । यह इतने महान थे कि , न्यायालय में बगैर जमानतदार के हाजिर हो गए थे । वह तो अच्छा हुआ कि , मानवता आधार पर लोगों ने मदद कर दी शाम 7:00 बजे तक न्यायालय में खड़े रहे । मेरे हिसाब से पाटिल साहब शांत थे , किंतु अन्दर षड्यंत्रकारी भी थे । यदि टीम भावना से कार्य करते तो यह स्थिति न बनती । मनुष्य को होशियार बनना अच्छी बात है , पर सामने वाले को मूर्ख समझना उसकी नासमझी कहीं जाएगी । कर्मचारियों के गले की हड्डी वरिष्ठों के परसेंटेज है , जैसे बीरबल को दी गई कोड़ों की सजा में राजा का भी हिस्सा होना चाहिए । भ्रष्ट IFS अधिकारी अभिनव पल्लव , अजय यादव , ए०पी०एस० सेंगर , गौरव चौधरी , नवीन गर्ग के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के विरुद्ध भी शासन द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है , जबकि छोटे कर्मचारियों के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही कर दी जाती है ।