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मदरसा मिसवाह उल उलूम में हाफिज की हुई दस्तारबंदी


बेगमगंज। मजहबी तालीम देने के लिए कदीम मदरसा मिसवाह उल उलूम मरकज मस्जिद मैं मुंह जबानी कुरान पाक याद करने और नाजरा कुरआन पाक पूरा करने को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां हाफिज बनने वाले युवक की दस्तारबंदी की गई। 

इस मौके पर मौलाना नजर मो. गोंडवी ने शिक्षा के ऊपर प्रकाश डालते हुए हाफिज का मर्तबा और नाजरा कुरान पूरा पढ़ने की अहमियत पर विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि हमारे अंदर तीन चीजें होना चाहिए हम जो भी काम करें वह अदाएं मुस्तफा की तरह हो हमारे अंदर ईमान  और अदब होना चाहिए अगर इनमें से कोई एक भी कमी होगी तो हमारा काम सही नहीं होगा क्योंकि हम दावा तो नबी से मोहब्बत का करते हैं लेकिन अमली तौर पर हमारा रहन सहन नबी के तरीके पर नहीं होता हम कोशिश करें कि हमारा हर काम नबी के तरीके पर हो। 

तत्पश्चात हाफिज होने वाले सुनेहरा गांव के निवासी मो. इश्तियाक पुत्र मो. हनीफ मंसूरी और नाजरा कुरआन पूरा करने वाले मो. शाअद पुत्र मो. सादिक कसवा ताल सिरोंज ने उपस्थित लोगों के समक्ष कुरआन पाक को पढ़कर सुनाया।

इस अवसर पर मौजूद उलेमाओं का रुमाल उढ़ाकर स्वागत किया गया हाफिज और नाजरा  करने वाले दोनो बच्चों का भी लोगों ने हार पहनाकर स्वागत किया उन्हें उपहार भी प्रदान किए।

उक्त दोनों बच्चों को तालीम देने वाले मदरसे के उस्ताद मौलाना सामिद खां नदवी का उपस्थित लोगों ने स्वागत करते हुए उन्हें इस कामयाबी पर मुबारकबाद दी। मदरसे के सदर हाफिज मो. इलियास और मदरसा कमेटी की भी भूरी भूरी प्रशंसा की गई स्वर्गीय हाफिज मो. इदरीस खां के द्वारा पूर्व में दी गई कुर्बानी को याद किया गया।

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