दर्ज मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट ने स्वीकारी
22 वनरक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी के लगाए गए थे आरोप
भोपाल। व्यापमं के माध्यम से वनरक्षकों की भर्ती मामले में कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना और स्व. लक्ष्मीकांत शर्मा के खिलाफ सबूत नहीं मिलने पर सीबीआई की ओर से पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट को स्पेशल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के विशेष न्यायाधीश नीतिराज सिंह सिसौदिया ने इस बारे में बुधवार को क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए आदेश पारित किए। विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि सीबीआई की ओर से पेश किए गए चालान में संजीव सक्सेना के खिलाफ कोई तथ्य नहीं है। कोर्ट ने अन्य आरोपियों के संबंध में भी उल्लेख किया है कि तत्कालीन एसटीएफ के डीएसपी दिलराज सिंह बघेल के भी कोर्ट में बयान हुए थे, जिसमें बघेल ने साफतौर पर माना था कि सक्सेना सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ तथ्य या साक्ष्य नहीं है। ऐसे में स्पेशल कोर्ट ने सीबीआई की ओर से पेश किए गए खात्मा आवेदन को विचार के बाद स्वीकार किया। खास यही कि इसी मामले में पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मीकांत शर्मा सहित राघवेंद्र सिंह तोमर, तरंग शर्मा, दिलीप गुप्ता, अजय श्रीवास्तव उर्फ रिंकू, रामशेष शर्मा, संतोष गुप्ता, जितेंद्र सिंह रघुवंशी, ओपी शुक्ला, अजयशंकर मेहता, भूपेंद्र श्रीवास्तव, प्रहलाद सिंह वर्मा, राजेंद्र सिंह गुर्जर, इंद्रभान सिंह, अभिजीत सिंह पंवार, पंकज त्रिवेदी, मोहनलाल सेन, सत्येंद्र राय, केहर सिंह को भी सबूत नहीं होने से सीबीआई की ओर से पेश खात्मा रिपोर्ट को स्पेशल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
संजीव को रोकने के लिए की गई साजिश..?
सूत्रों के अनुसार संजीव सक्सेना को 22 वनरक्षकों की भर्ती मामले में आरोपी बनाने के पीछे राजनीतिक कारण थे। ज्ञात हो कि संजीव सक्सेना को 2014 के विधानसभा चुनाव में भोपाल की उत्तर दक्षिण विधानसभा सीट से कांग्रेस का सशक्त दावेदार माना जा रहा था। साथ ही संजीव की जीत के भी दावे किए जा रहे थे। इसी बीच अचानक व्यापमं मामले में सक्सेना का नाम आ गया और जेल जाना पड़ा। इसके बाद किसी न किसी कारण इस मामले की जांच लंबी होती रही। आखिरकार इस मामले में अगस्त 2019 में सीबीआई की ओर से क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई। इसके बाद भी कोर्ट में सरकार की ओर से किसी न किसी कारण से सुनवाई में देरी होती रही। इसके बाद सक्सेना की दावेदारी फिर सामने आई, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तब सक्सेना के घर पहुंचे और चुनाव नहीं लड़ने के लिए सक्सेना को मनाया। ऐसे में अदालत से बेदाग साबित होने के बाद अब माना जा रहा है कि संजीव सक्सेना का चुनाव मैदान में उतरना तय है।
