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मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी के जन्मदिवस पर विशेष

संवेदनशील और मानवतावादी राजनेता हैं दिग्विजय सिंह

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान में राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह का 28 फरवरी 2024 को 78वां जन्मदिवस है। उन्होंने 77 वर्षों के अपने जीवन काल के 55 साल विशुद्ध जन सेवा में बिताए। 1969 में राघौगढ़ नगर पालिका के निर्विरोध अध्यक्ष बने, 1975 में गुना जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर बने, 77 की जनता पार्टी की लहर में पहली बार कांग्रेस के चुनाव चिन्ह से विधायक चुनकर आए, मध्यप्रदेश की कांग्रेस नीत अर्जुन सिंह सरकार में मंत्री बने, राजगढ़ लोकसभा से 2 बार सांसद चुनकर आए, प्रदेश कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष रहते हुए समूचे मध्यप्रदेश के हर कोने को नाप कर और जनता की नब्ज भांप कर कांग्रेस को सत्ता के मुहाने पर पहुंचाया और विपरीत वित्तीय परिस्थितियों में मध्यप्रदेश को 10 साल मुख्यमंत्री के तौर पर न सिर्फ संभाला बल्कि अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाकर मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में कई कदम आगे बढ़ाया। संगठन के अनेक पदों पर रहे। नए युवाओं को शायद ही मालूम होगा कि आखिरी बार जब उत्तरप्रदेश कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था तब कांग्रेस के 21 सांसद चुनकर आए थे। उस वक्त उत्तरप्रदेश के प्रभारी महासचिव दिग्विजय सिंह ही थे। वे वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं और ये उनका लगातार दूसरा टर्म है।

आपको क्या लगता है दिग्विजय सिंह जी को मिली ये सब उपलब्धियां बिना कुछ करे हासिल हुईं? नही ऐसा बिलकुल नहीं है, उनके हिस्से में इतना विशाल सफलतम राजनैतिक सफर सिर्फ भाग्य के भरोसे नहीं आया। इस सबके लिए अच्छे और सच्चे जन सेवक बनने की कसौटी में खरा उतरना पड़ता है।  अनवरत जन सेवा करने के लिए वास्तविक मनोभाव चाहिए। ये मनोभाव तब ही बनते हैं जब कोई कूट-कूट कर संवेदन शील और मानवतावादी हो। समूचे देश के हर राज्य के बहुतायत लोगों को यही निजी अनुभव हुआ कि दिग्विजय सिंह जी संवेदनाओं से भरे और मानवता से ओत प्रोत रहने वाले देश के गिने चुने राजनेताओं में से एक हैं। लोगों की समस्या सुनकर द्रवित हो जाना, आंखें तक भर आना उनके संवेदन शील होने के प्रमाण हैं। मानवीय इतने है कि बाहर का कोई रात बिरात उनसे अपनी समस्या सुलझवाने आए तो अपने स्टाफ से कहते हैं कि रात बहुत हो गई है इन लोगों के रुकने और खाने की व्यवस्था करवाओ बाकि बातें कल करेंगे। जब कल होता है तो सबसे पहले आवाज देकर उन्ही लोगों को पहले बुलाते हैं जिन्हे रात में रुकवाने के लिए कहा था। ये कोई उनकी एक दिन की चर्या नही है ये सब तो लगभग रोज घटित होता है। वे बिना सरकार के, बिना शासन के रोज अनगिनत लोगों की मदद करते हैं। 

दिग्विजय सिंह जी अपने संबंधों से ही हर समय अपनी सरकार चलाने वाले अनोखे राजनेता हैं। बड़ी बात ये है कि वे थकते नहीं कभी, कई सौ लोग रोज उनके दर पर आ जाते हैं, अपनी समस्याएं बताते हैं, सबकी एक-एक बात धैर्य के साथ सुनते हैं। उनकी समस्याओं के निराकरण के रास्ते ढूंढते हैं। जो मिलने का समय तय कर रखा है उस वक्त सबसे मिलते हैं। कभी लोगों को देखकर चिढ़ते नही, झल्लाते नहीं, टालते नहीं। सभी से मिलते जरूर हैं। मैंने उन्हें देखा है कि बिना ये जाने कि जो व्यक्ति उनसे काम करवा रहा है वो कौन है इसमें रुचि न रखकर उनका पूरा ध्यान इस बात पर रहता है कि उनकी समस्या क्या है। आप यदि अपने हाथ में कोई कागज लेकर खड़े हैं तो वे आपको सबसे पहले बुला लेते हैं और यदि कोई फूलों का गुलदस्ता लेकर आया है तो उससे सबसे आखिरी में मिलते हैं। उन्हे प्राथमिकताएं पता है। उनका जन सेवा का यही जज्बा उन्हे सक्रीय रखता है और लोगों से जुड़े रहने का माध्यम भी बनता है। बहुत प्रतिबद्ध और अनुशासित होकर ही इस तरह की जन सेवा की जा सकती है। 

दिग्विजय सिंह जी ने अपने जीवन को मशीन की तरह ढाल रखा है। सारे मापदंड पहले से तय करके रखे हैं। सुबह जल्दी उठना, रात को देर से सोना और इन दोनों समयावधि के बीच वो सब कुछ करना जिसमें देव, देश, परिवार, समाज और संगठन सबकी बराबरी से फिक्र हो। सच में आसान नहीं है दिग्विजय सिंह होना।

28 फरवरी को दिग्विजय सिंह जी का जन्मदिन है इस अवसर पर हम उन्हे ढेर सारी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं। वे स्वस्थ और दीर्घायु होकर अनंतकाल तक जन सेवा के कार्य करते रहें यही बाबा भोलेनाथ से प्रार्थना है।

योगेंद्र सिंह परिहार

स्वतंत्र लेखक

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