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आईएसआईएस इंडिया का प्रमुख हैरिस फारूकी सहयोगी समेत गिरफ्तार

नई दिल्ली। इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (ISIS) आईएसआईएस इंडिया के प्रमुख हैरिस फारूकी को बुधवार (20 मार्च, 2024) को गिरफ्तार किया गया है। फारूकी और उसके सहायक को बांग्लादेश से सीमा पार कर असम के धुबरी में पहुंचने पर पकड़ा गया है। इसके बाद पूरे सीमावर्ती इलाके में हाई अलर्ट कर दिया गया है। पुलिस महानिरीक्षक पार्थसारथी महंत के नेतृत्व में विशेष कार्य बल की टीम ने कल शाम दोनों को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया। टीम को विश्वसनीय जानकारी मिली और भारत और बांग्लादेश के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब एक इलाके में तलाश शुरू की गई। टीम ने सीमा पार करने के बाद सुबह-सुबह धुबरी के धर्मशाला इलाके में आतंकवादियों को सफलतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया। बयान में कहा गया है, “उन्होंने भारत में कई जगहों पर आईईडी का उपयोग करके भर्ती, आतंकी फंडिंग और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिशों के जरिए भारत में आईएसआईएस के मकसद को आगे बढ़ाया था।” पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनके खिलाफ एनआईए, दिल्ली, एटीएस और लखनऊ सहित अन्य जगहों पर कई मामले लंबित हैं। असम पुलिस चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर प्रणब ज्योति गोस्वामी ने कहा कि फारूकी और उसके साथी को धर्मशाला एरिया में एसटीएफ की टीम ने गिरफ्तार किया है। इसको लेकर हमें जानकारी मिली थी तो हमने प्लान बनाया था।

दुनिया का सबसे अमीर आतंकवादी संगठन, जानिए इसके बारे में

इराक में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस द्वारा मोसुल शहर और अन्य सुन्नी बहुल इलाकों पर कब्जा करने के बाद वहां संकट गहराता जा रहा है। हाल ही में आईएसआईएस ने इराक के शहर मोसुल पर कब्जा किया तो वहां से 429 मिलियन डॉलर की लूट की इसके बाद माना जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे अमीर आतंकवादी संगठन बन गया है। आइए जानें आखिर कैसा है यह आतंकी संगठन।

क्या है आईएसआईएस?आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड दी लीवेंट भी कहते हैं) एक जिहादी संगठन है, जो इराक और सीरिया में सक्रिय है। इसकी स्थापना अप्रैल 2013 में की गई थी और यह काफी तेजी से बढ़ा है। यह इराक में आतंकी संगठन अल-कायदा का सहयोगी है। यह सीरिया में सरकारी सुरक्षा बलों से लड़ रहे संगठनों में प्रमुख संगठन है। आईएसआईएस में बड़ी तादाद में विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य इराक और सीरिया के सुन्नी इलाकों को इस्लामिक स्टेट बनाना है। लीवेंट दक्षिणी तुर्की से लेकर मिस्र तक के क्षेत्र का पारंपरिक नाम है। संगठन दावा करता है कि उसमें इराक के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कई यूरोपियन देशों के फाइटर्स शामिल हैं। इसके अलावा संगठन अमेरिका और अरब वर्ल्ड से भी बड़ी तादाद में लोगों के शामिल होने का दावा करता है।

इराक में वर्ष 2006 में आतंकी संगठन अल-कायदा काफी सक्रिय था। इसका मुखिया अबु मुसाब अल-जरकावी था। अल-कायदा इराक में बहुसंख्यक शिया समुदाय के विरुद्ध युद्ध का माहौल बनाना चाहता था। अल-कायदा 2006 में अपने मकसद में कामयाब हो गया। दरसअल, यहां पर शियाओं के प्रमुख धर्मस्थल अल-अस्कारिया मस्जिद पर हमले किए गए। शियाओं ने जवाबी हमले किए और तनाव बढ़ने लगा।

वर्ष 2006 में ही अमेरिकी फौजों के हमले में अल-जरकारी की मौत के बाद आईएसआईएस लगभग समाप्त हो गया था। लेकिन इराक से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद यह फिर बढ़ने लगा। अल-कायदा ने 2006 में खुद को द इस्लामिक स्टेट इन इराक (आईएसआई) कहना शुरू कर दिया, लेकिन अप्रैल 2013 में इसके साथ ‘एंड सीरिया’ भी जुड़ गया। नए संगठन ने इराक में सुन्नियों की इस भावना का फायदा उठाया कि उनके प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी शिया समुदाय के हैं और सरकार उनके बारे में नहीं सोचती है। इस तरह यह संगठन इराक में मजबूत होता गया। 

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