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फूलों से पटी सड़कों पर मनाया खूनी मातम

फूलों से पटी सड़कें और लोभान से महका शहर
यौम-ए-आशूरा पर निकला ताजियों का जुलूस

शब्बीर हुसैन, भोपाल


यौम-ए-आशूरा पर निकला ताजियों का जुलूस
हजरत ईमाम हुसैन और हसन हुसैन की शहादत की याद में शहर के मुस्लिमों ने रविवार को ताजियों का जुलूस निकाला। मातम करने वालों के चेहरे और पीठ खून से रंग गए थे, फिर भी कदम रूके नहीं, बल्कि करबला की ओर बढ़ते गए। मुहर्रम की 10 तारीख को मनाई जाने वाली यौम-ए-आशूरा पर मुस्लिम धर्मावलंबियों ने रोजे रखकर इबादत की और गरीबों में खाना भी तकसीम किया।
शहर के कई इलाकों से ताजियों के निकलने का सिलसिला रविवार सुबह से ही शुरू हो गया था। इनका रुख पीरगेट की तरफ था। धीरे-धीरे ताजियों, बुर्राकों, दुलदुल और अखाड़ों का जमावड़ा यहां होता गया। दोपहर बाद इनकी रवानगी करबला की तरफ शुरू हुई। ईमामी गेट, रॉयल मार्केट, एसबीआई चौराहा होते हुए यह ताजिये वीआईपी रोड स्थित करबला पहुंचे। यहां से कुछ ताजियों को कमला पार्क स्थित घाट पर विसर्जित कर दिया गया। बड़ी तादाद में ताजियों को शिरीन नदी पर दफनाया गया। यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा।

अखाड़ों में दिखाए करतब
ताजियों के जुलूस के साथ बड़ी तादाद में अखाड़े भी मौजूद थे। इनमें लाठियों और अन्य साधनों से करतब दिखाते कलाकार चल रहे थे। कई स्थानों पर अखाड़ों का इस्तकबाल किया गया। साथ ही इनके उस्ताद और खलीफाओं का सम्मान किया गया। उन्हें इस बात पर शाबाशी भी मिली कि जब समाज से लाठी कला के प्रदर्शन विलुप्त हो चुके हैं, ऐसे में उन्होंने इस रिवाज को जिंदा रखा हुआ है।

सारे रास्ते मातम
ईरानी डेरे से चले मातमी जुलूस ने सबका ध्यान आकर्षित किया। यह जुलूस जहां से भी गुजरा वहीं जाम लगने की नौबत आ गई। इस हुजूम में शामिल कई युवक-युवतियां अपने बदन पर ब्लेड और अन्य धारदार छोटे हथियारों से वार कर खून बहा रहे थे। इनकी जुबां पर या हुसैन की पुकार थी।

किन्नरों का ताजिया आकर्षण का केन्द्र

किन्नरों का ताजिया आकर्षण का केन्द्र
मध्यप्रदेश मुस्लिम त्योहार कमेटी के चेयरमेन हिफ्फजुर्रहमान और शमसुल हसन बल्ली ने बताया कि, पहली बार भोपाल में सोने चांदी से बना ताजिया आया था। इस बार हाजी सुरैया किन्नर और हाजी निसार किन्नर के कांच से बनाए ताजिए आकर्षण का केन्द्र रहे।

करबला पर लगा मेला
ताजियों की जियारत करने के लिए पहुंचने वाले लोगों की मौजूदगी के चलते करबला पर एक छोटे मेले का माहौल भी बन गया था। यहां खानपान की चीजों के साथ बच्चों के खिलौने और झूले भी मौजूद थे। इस बाजार में रेवड़ी, लोभान, अगरबत्ती, सैलियों आदि की जोरदार बिक्री हुई। करबला के खादिम शब्बीर हुसैन ने बताया कि ताजियों के साथ आने वालों ने करबला पर मातम किया और ताजियों को



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