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जलसंसाधन के ईई ने डीएफओ के फर्जी हस्ताक्षर कर दिया धोखा

अरुण सिंह, पन्ना.

प्रदेश के पन्ना जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा भृष्टाचार, अनियमितताओं और फर्जीवाडे का नया कीर्तिमान बनाया गया है। बांधों और जलाशयों के निर्माण में तकनीकी मापदण्डों को अनदेखा करते हुए विभाग के अधिकारियों ने जहां भृष्टाचार की सारी सीमायें पार की हैं, वहीं केन्द्र से सिंचाई परियोजनाओं की मंजूरी के लिए फर्जी और कूट रचित दस्तावेजों का भी सहारा लिया गया है। इसका खुलासा मझगांय मध्यम सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाली वन भूमि के संबंध में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली को भेजे गये अनापत्ति प्रमाण पत्र से हुआ है। 

भृष्टाचार की कहानी बयां करता पन्ना जिले का भितरी मुटमुरू बांध
भृष्टाचार की कहानी बयां करता भितरी मुटमुरू बांध
 जल संसाधन विभाग पन्ना के फर्जीवाड़ा का हुआ खुलासा 

केन्द्र से अनुमति लेने तैयार किये गये कूट रचित दस्तावेज 


मझगांय सहित जिले की सभी सिंचाई परियोजनायें घेरे में 


उल्लेखनीय है कि जिले में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार कर इस इलाके को पंजाब बना देने का दावा करते हुए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने सिंचाई परियोजनाओं के लिए स्वीकृत अरबों रुपए के बजट को जिस तरह से ठिकाने लगाया है, वैसा उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिले। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की दबंगई और दुस्साहस का यह आलम है कि यह जानते हुए भी कि मझगांय मध्यम सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र में सैकडों एकड़ वन भूमि आती है, फिर भी उन्होंने वन मण्डलाधिकारी उत्तर वन पन्ना के फर्जी कूट रचित हस्ताक्षर बनाकर इस आशय का प्रमाण पत्र वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दिया कि मझगांय सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र में कोई भी वन प्रभावित नहीं है। सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह है कि इस अनापत्ति प्रमाण पत्र में वन मण्डलाधिकारी उत्तर पन्ना के हस्ताक्षर हैं। लेकिन इसको बनाने में जल संसाधन विभाग पन्ना के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ने बड़ी भूल कर दी, यह प्रमाण पत्र 18 अगस्त 2011 को तैयार किया गया जबकि डीएफओ अमित दुबे का लगभग सात माह पहले ही जिले से स्थानांतरण हो चुका था। 

कार्यालय जल संसाधन विभाग पन्ना
कार्यालय जल संसाधन विभाग पन्ना
डीएफओ के फर्जी हस्ताक्षर के लिए कार्यपालन यंत्री अखिल वार्ष्णेय जिम्मेदार
उत्तर वन मण्डल पन्ना के वर्तमान डीएफओ डा. एसके गुप्ता ने इस प्रमाण पत्र के संबंध में छानबीन करते हुए जब पूर्व डीएफओ अमित दुबे से जानकारी ली तो उन्होंने बकायदा विभागीय पत्र क्रमांक स्टेनो / 14 / 49 दिनांक 25 जनवरी 2014 द्वारा यह अवगत कराया कि उनके द्वारा इस तरह का कोई भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। संलग्न प्रमाण पत्र बगैर कार्यालयीन मुद्रा के हैं जो संदिग्ध प्रतीत होता है। इसकी जांच किया जाना आवश्यक है। पूर्व डीएफओ श्री दुबे द्वारा यह जानकारी दिए जाने पर वन मण्डलाधिकारी उत्तर पन्ना डॉ. एसके गुप्ता ने पत्र क्रमांक / माचि/1422 पन्ना दिनांक 11 मार्च 2014 के माध्यम से कलेक्टर पन्ना को विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि मझगांय सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र में प्रभावित होने वाली वन भूमि के संबंध में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री द्वारा किस तरह कूट रचित तरीके से प्रमाण पत्र तैयार किया गया है। डीएफओ डाएसके गुप्ता ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि प्रकरण में बिलम्ब एवं भ्रामक स्थिति निर्मित करने के लिए अखिल वार्ष्णेय तत्कालीन कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग जिम्मेदार है। जिनके विरूद्ध कार्यवाही हेतु आपको अर्द्ध शासकीय पृक्रं/ माचि / 2014/ 05 दिनांक 18 फरवरी,2014 से अवगत भी कराया गया है। डीएफओ ने इस मामले से उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया है, लेकिन अभी तक दोषियों के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं होना हैरानी में ड़ालने वाला है।

ग्रामसभा को भेजा गया फर्जी प्रस्ताव
सिंचाई परियोजनाओं की मंजूरी से लेकर निर्माण कार्य में जल संसाधन विभाग द्वारा जिस तरह की धांधली और फर्जीवाड़ा किया गया है, उसके संबंध में प्रमाणिक जानकारी व दस्तावेज सूचना के अधिकार के तहत वरिष्ठ अधिवक्ता परशुराम गर्ग ने प्राप्त किये हैं। इन दस्तावेजों से पता चलता है कि जल संसाधन विभाग द्वारा रून्ज मध्यम सिंचाई परियोजना के संबंध में ग्राम पंचायत विश्रामगंज की ग्राम सभा का फर्जी प्रस्ताव 8 अगस्त,2011 को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिल्ली भारत सरकार को भेजा गया, जबकि इस संबंध में कोई भी प्रस्ताव ग्रामसभा द्वारा उक्त दिनांक में पारित ही नहीं किया गया। रून्ज सिंचाई परियोजना के संबंध में सर्वे टीम द्वारा जमीन की गहरी खुदाई कर जांच की गई थी, जिसमें मध्यम सिंचाई परियोजना हेतु इस स्थल को उपयुक्त नहीं पाया गया था। बावजूद जल संसाधन विभाग पन्ना द्वारा फर्जी तरीके से उस रिपोर्ट को अपने पक्ष में करा लिया गया, जिसकी किसी सक्षम एजेन्सी से जांच कराई जानी चाहिए।

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