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‘हमें हटाओ गओ तो हम मर जाबी या मार डारबी’

अरुण सिंह, पन्ना.

जल संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तावित रून्ज मध्यम सिंचाई परियोजना का आज शासकीय माध्यमिक शाला विश्रामगंज में आयोजित हुई लोक सुनवाई में ग्रामवासियों ने एक स्वर में पुरजोर विरोध किया। यहां निवास करने वाले 80 फीसदी से भी अधिक परम्परागत आदिवासियों ने कहा कि हमारी जीवन शैली वन आधारित है, जंगल के बिना हम नहीं रह सकते। दो घंटे से भी अधिक समय तक चली इस लोक सुनवाई में प्रभावित होने वाले ग्रामों के एक भी व्यक्ति ने बांध के निर्माण का समर्थन नहीं किया। हर किसी ने यही कहा कि हम यहां सुख और चैन से हैं, हमें यहां से न खदेड़ा जाए।

रून्ज सिंचाई परियोजना के लिए जनसुनवाई
रून्ज सिंचाई परियोजना के लिए जनसुनवाई
रून्ज डेम के निर्माण का लोक सुनवाई में हुआ विरोध 
 
प्रस्तावित बांध के डूब क्षेत्र में है शानदार घना जंगल 

 
आदिवासियों ने कहा जंगल के बिना हम नहीं जी सकते 



पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक शासकीय माध्यमिक शाला विश्रामगंज प्रांगण में सुबह 11:30 बजे से लोक सुनवाई शुरु हुई। इसमें जिला प्रशासन की ओर से एडीएम चन्द्रशेखर बालिम्बे, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन श्री जैन तथा क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित प्रभावित ग्रामों के किसान व आदिवासी बड़ी संख्या में शामिल रहे। लोक सुनवाई में आरामगंज के प्रतिष्ठित नागरिक हनुमंत प्रताप सिंह (रजऊ राजा) ने तथ्यों के साथ ग्रामीणों का पक्ष रखा और बताया कि प्रस्तावित रून्ज डेम का निर्माण किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। आपने बताया कि यहां का जंगल जैव विविधता की दृष्टि से बहुत अच्छा है, जितना अच्छा जंगल लखनपुर सेहा में है, उतना पन्ना नेशनल पार्क में भी नहीं है। आदिकाल से यहां का जंगल बाघों का प्रिय रहवास स्थल रहा है, बाघों के अलावा यहां वन्य जीवों की अनेकों दुर्लभ प्रजातियां भी पाई जाती हैं। बांध के बनने से जंगल तो नष्ट होगा ही, वनस्पतियां, दुर्लभ जड़ी बूटियां व वन्य जीव भी खत्म हो जायेंगे। 

हनुमन्त सिंह लोक सुनवाई में बोलते हुए
हनुमन्त सिंह लोक सुनवाई में बोलते हुए
लोक सुनवाई में बोलते हुए हनुमंत सिंह ने बताया कि ग्राम सभा में भी बांध के विरोध में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। इसके अलावा यहां की मृदा परीक्षण रिपोर्ट भी बांध निर्माण के पक्ष में नहीं है। यहां की मिट्टी ऐसी है जो बड़े डेम को सपोर्ट नहीं कर पायेगी। ऐसी स्थिति में यदि यह डेम भितरी मुटमुरू की तरह फूट गया तो उससे जो तबाही होगी, उसका जिम्मेदार कौन होगा। श्री सिंह के मुताबिक यहां इतना बड़ा बांध बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपने जल संसाधन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाये और आरोप लगाया कि मृदा परीक्षण सहित अन्य कई रिपोर्ट शासन के दबाव में तैयार कराई गई हैं। इन सभी रिपोर्टों की जांच व सत्यापन कराया जाए। डूब क्षेत्र के जंगल में पेडों की जो गणना हुई है उस पर भी आपने सवाल उठाये हैं तथा गणना को पूर्ण रूप से गलत बताया है। गणना रिपोर्ट में वृक्षों की संख्या 32 हजार 700 बताई गई है जबकि डूब क्षेत्र में इससे कई गुना ज्यादा वृक्ष हैं। लखनपुर सेहा के जंगल में वृक्षों की कई ऐसी प्रजातियां हैं,जो अन्यत्र कहीं नहीं पाई जातीं, पूरा जंगल दुर्लभ जड़ी बूटियों व वनस्पतियों से भरा है। इसके अलावा परम्परागत आदिवासियों का जीवन जंगल पर ही आधारित है। इलाके के लोग वनोपज का संग्रह कर जीवन यापन करते हैं। प्रति वर्ष लगभग 3 करोड़ रूपए की जलाऊ लकड़ी लेते हैं तथा मवेशियों को चारा मिलता है। इसकी भरपाई कैसे और कहां से होगी?

क्षेत्रीय नागरिक व वरिष्ठ अधिवक्ता परशुराम गर्ग ने बताया कि यह क्षेत्र प्रस्तावित बफरजोन है लेकिन डेम बनाने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत इसे बफर जोन से हटाया गया है, जो यहां के परम्परागत आदिवासियों के साथ अन्याय है। केशव प्रताप सिंह ने कहा कि आदिवासियों को सिंचाई विभाग क्या देगा जो जंगल दे रहा है। आपने कहा कि इतना बड़ा डेम बनाने की आखिर क्या जरूरत है, क्या स्टापडेमों से सिंचाई नहीं हो सकती। ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि आरामगंज क्षेत्र के लोगों के लिए क्या इस तरह से अच्छे दिन आयेंगे? जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष श्रीमती दिव्यारानी सिंह ने कहा कि जो बांध फूट गये हैं जल संसाधन विभाग उन्हें तो बनवा नहीं पा रहा और नये बांध बनाने की बात की जा रही है। यदि लोगों की इच्छा नहीं है तो जबरजस्ती डेम नहीं बनाना चाहिए। निमिया बाई गोंड ने बड़े ही बेबाक अंदाज में यह कहा कि ‘हमें हटाओ गओ तो हम मर जाबी या मार डारबी’। लोक सुनवाई में देवीदीन कोंदर, श्याम कोंदर, प्रेम कुमार पाण्डे, बुद्धूलाल कोंदर तथा भोलू गौतम सहित अन्य ग्रामीणों ने भी रून्ज डेम का पुरजोर विरोध किया। 

ग्रामीणों और पर्यावरण के हित में होगा निर्णय
ग्रामीणों और पर्यावरण के हित में होगा निर्णय
रून्ज मध्यम सिंचाई परियोजना के लिए पर्यावरण स्वीकृति हेतु आयोजित जन सुनवाई में एडीएम चन्द्रशेखर बालिम्बे ने कहा कि यह जनसुनवाई इसलिए रखी गई कि आपकी भावनायें ऊपर तक पहुंच सके। विकास एक ऐसा समीकरण है जिसमें लाभ व हानि दोनों होती है लेकिन सर्वोत्तम विकास वही होता है, जिसमें हेरिटेज को नुकसान न हो, क्यों कि हेरिटेज को वापस नहीं लाया जा सकता। सबकी जीत हो किसी की हार न हो हमारी यह कोशिश होगी। जल संसाधन विभाग पन्ना के कार्यपालन यंत्री श्री जैन ने कहा कि वन व पर्यावरण के प्रति यहां के लोगों में गजब की जागरूकता है। जोर जबरजस्ती से यहां बांध नहीं बनाया जाएगा, लोगों की भावनाओं का पूरा सम्मान किया जावेगा।

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