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3 करोड़ की लागत से बन रहे कलेक्टोरेट भवन की डिजाइन दो बार बदली ताकि 700 साल पुराना कल्पवृक्ष काटना न पड़े

सागर
 पेड़ काटने के कई बहाने हो सकते हैं, लेकिन जब किसी पेड़ को बचाना हो तो तरकीब निकल ही आती है। दरअसल, सागर में 13 करोड़ की लागत से ज्वाइंट कलेक्टोरेट की बिल्डिंग बन रही है। इसकी डिजाइन दो बार बदलकर यू-शेप में किया गया है।
ताकि 700 साल पुराने कल्पवृक्ष को काटने से बचाया जा सके। तत्कालीन कलेक्टर विकास नरवाल एवं आलोक सिंह ने निर्माण एजेंसी पीआईयू को डिजाइन बदलने को कहा था। इसके बाद यू शेप में बिल्डिंग की डिजाइन तय हुई। दो बार डिजाइन बदलने पर ज्यादा राशि तो खर्च नहीं हुई। लेकिन एक पेड़ कटने से बच गया। सरकारी विभाग का यह प्रयोग अन्य शहरों के लिए मिसाल बन सकता है। डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के रिटायर्ड शिक्षक डॉ. अजयशंकर मिश्रा ने बताया, कल्पवृक्ष अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और भारतीय महाद्वीप के 13 देशों में पाया जाता है।

आसपास के अन्य पेड़ भी सुरक्षित रखे 
पीआईयू के एसडीओ यूसी यादव बताते हैं, परिसर में दो कल्पवृक्ष हैं। इनके साथ आसपास के पेड़ भी सुरक्षित रखे गए हैं। अफसरों ने कल्पवृक्ष के लिए स्पेस छोड़कर नए सिरे से नक्शा तैयार कराया है।

इमारत का 80% काम पूरा हुआ 
2,658 वर्गमीटर क्षेत्र में बन रहे तीन मंजिला ज्वाइंट कलेक्टोरेट का 80% काम पूरा हो गया है। यह करीब 12 करोड़ 93 लाख रु. की लागत से बन रही है। मार्च के अंत तक इसका काम पूरा हो जाएगा।
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