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शीतलहर की चपेट में पूरा प्रदेश, ग्वालियर-चंबल और सागर संभाग में पाला पड़ने की चेतावनी

भोपाल
 सर्द मौसम के तेवर और तीखे हो गए हैं। पूरा प्रदेश शीतलहर की चपेट में है। ग्वालियर-चंबल, सागर. उज्जैन, इंदौर भोपाल संभाग में इसका असर ज्यादा देखा जा रहा है। यहां 16 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ठंडी हवाएं चल रही हैं। मौसम विभाग ने ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग में पाला पड़ने की चेतावनी जारी की है।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कश्मीर घाटी में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ से मौसम और सर्द हो गया है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में गिरवाट आई है। बीते चौबीस घंटे में न्यूनतम तापमान तीन डिग्री श्योपुरकलां में दर्ज किया गया है। भोपाल में हालांकि रविवार को कोहरा नहीं रहा, लेकिन ग्वालियर-चंबल संभाग में आज भी कोहरे की चपेट में हैं। बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश के रीवा संभाग के सभी जिलों में बारिश हुई है। बाकी के संभागों में मौसम शुष्क रहा है। नरसिंहपुर, खजुराहो, सागर, टीकमगढ़, दमोह, इंदौर, धार, शादापुर और श्योपुरकलां में कोल्ड डे रहा। वहीं नौगांव, धार रतलाम, भोपाल में शीतलहर चली। 

शीतलहर की चेतावनी: ग्वालियर, चंबल, उज्जैन, इंदौर, सागर और भोपाल संभाग के सभी जिलों में शीतलहर चलेगी। हवाओं की रफ्तार 16 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा रहने की संभावना है। 

कैसा रहेगा भोपाल का मौसम: आगामी चौबीस घंटो में भोपाल के न्यूनतम और अधिकतम तापमान में काफी गिरावट दर्ज की जा सकती है। भोपाल में अधिकतम तापमान 19 डिग्री और न्यूनतम तापमान 8 डिग्री रहने की संभावना है। इस दौरान हवाओं की रफ्तार 16 किलोमीटर प्रति घंटा रहने का अनुमान है। शनिवार को भोपाल को अधिकतम तापमान 19.6 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 7.5 डिग्री दर्ज किया गया। 

कहां कितना रहा अधिकतम और न्यूनतम तापमान: ग्वालियर (20.6 और 5,3), इंदौर (20,4 और 7.2), श्योपुर (19,0 और 3.0), जबलपुर (17,2 और 11.7)

क्या होता है पाला: बारिश होने पर धरती पानी सोखती है। और जब धूप निकलती है तो यही पानी भाप बनकर ऊपर उठता है। ठंड के मौसम में ये भाप वातावरण में ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाता है। ठंड के कारण यह जमने लगता है। धरती पर छोटे पौधो पर बर्फ की परत सी दिखने सी लगती है। इसे ही पाला कहते हैं। पाला का फायदा ये है कि ये वातावरण को और भी ज्यादा ठंडा कर देता है। वहीं नुकसान ये हे कि पाला पड़ने से फसलों और छोटे पौधों पानी जमने से फसले गलने लगती हैं। 

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