महू। यूं तो 15 साल सत्ता में रहने के कारण भाजपा में भी तीव्र गुटीय विभाजन है,लेकिन चूंकि भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मॉनीटर करता है,इसलिए बूथ मैनेजमेंट की चिंता प्रत्याशी को नहीं करनी पड़ती।
हिंदी पत्रकारिता के सवर्कालिक महान स्व.राजेंद्र माथुर कहते थे कि कांग्रेस सही मायनों में सनातन धर्म की प्रतिनिधि है। कांग्रेस एक ऐसा छाता है,जो भारत की सारी विविधताओं और परंपराओं को समेटे हुए हैं। वे कहते थे कांग्रेस यानी अधिकतम सर्वानुमति। यही नहीं स्व.माथुर यह भी कहते थे कि जाति व्यवस्था हम सनातनियों की कमजोरी भी है और ताकत भी। जाति व्यवस्था ने ही सनातन धर्म के प्रवाह को अबाधित रखा और हमारी हस्ती मिटने नहीं दी। वे कांग्रेस की गुटबाजी को इसी संदर्भ में देखते थे। यानी यह गुटबाजी कांग्रेस के इंजन की ऊर्जा भी है। हालंकि यह बात अलग है कि महान रज्जू बाबू यह बात नेहरू दौर की रूमानी युग की कांग्रेस के लिए कहते थे।
 |
| बालमुकुंदसिंह गौतम |
बहरहाल,धार संसदीय क्षेत्र की चर्चा करें तो धार जिले की कांग्रेस राजनीति दिग्वजयसिंह बनाम ज्योतिरादित्य सिंधिया से अधिक बालमुकुंदसिंह गौतम और उनके विरोधियों में बंटी है। बालमुकुंदसिंह गौतम बुंदेलखंडी ठाकुर हैं,जो बेहद जिद्दी और दमदार होते हैं। उनकी राजनीतिक अदावत उतने ही दबंग स्व.मोहनसिंह बुंदेला से रही है। बुंदेला के अवसान के बाद बालमुकुंद विरोधी गुट की कमान राजवर्धनसिंह दत्तीगांव ने संंभाल ली है,जो आईएस बनते बनते रह गए। अमेरिकी और ब्रिटिश एक्सेंट से फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले दत्तीगांव,बालमुकुंद गौतम के कारण कैबिनेट मंत्री नहीं बन सके। इसका बदला उन्होंने गजेंद्रसिंह राजूखेड़ी का तयशुदा टिकट कटवाकर लिया। उनका साथ दिया पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुनादेवी के आईपीएस भाई के पुत्र और राज्य के वनमंत्री उमंग सिंघार ने। कहते हैं घायल शेर अधिक खतरनाक माना जाता है। यदि बुंदेलखंडी ठाकुर का अहं आहत हो जाए तो उसके तेवर भी वैसे ही होते हैैं। दस हजार करोड़ की हैसियत वाले बालमुकुंदसिंह के लिए अब चुनाव लड?े के रास्ते लगभग बंद हो गए हैं।
 |
| राजवर्धनसिंह दत्तीगांव |
ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश गिरवाल के इलेक्शन मैनेजरों को इस अतिआत्मविश्वास का शिकार नहीं होना चाहिए कि विधानसभा चुनाव में धार संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस को 2 लाख 20 हजार की लीड मिली थी। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में एक-एक लाख मतों की शिफ्टिंग तक हुई है। इस संदर्भ में केवल राऊ विधानसभा सीट का उदाहरण देना काफी होगा। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जीतू पटवारी 19 हजार से अधिक मतों से विधानसभा चुनाव जीते। इसके साढ़े पांच महिने बाद हुए लोकसभा चुनाव में उसी राऊ विधानसभा सीट से भाजपा की तार्ई ने 54 हजार से अधिक मतों की बढ़त बनाई। यानी करीब पौने चौहत्तर हजार मतों की शिफ्टिंग एक ही विधानसभा में हुई।