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रायसेन/बेगमगंज। फसल बर्बाद होने से दुखी तुलसीपार गांव के एक किसान ने पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान पर करीब 9 लाख रुपए से अधिक का कर्ज होना बताया जा रहा है। थ्रेसिंग के दौरान जब कम सोयाबीन निकला तो किसान दुखी हो गया और उसने यह कदम उठा लिया। इस घटना के बाद पूरे गांव में मातम का माहौल है। शनिवार शाम 6 बजे तक जब किसान घर लौटकर नहीं आया तो परिजन उसे देखने के लिए खेत पर पहुंचे। यहां पर किसान पलाश के पेड़ पर फांसी पर लटका मिला।
किसान ने की आत्महत्या, 2000 के उधार के बदले 70 हजार मांग रहा था सूदखोर
तुलसीपार गांव में रहने वाले 40 वर्षीय किसान वीरेन्द्र सिंह यादव पुत्र हरिसिंह यादव ने 8 एकड़ भूमि पर सोयाबीन और उड़द की फसल बोई थी। उसकी दो-तीन वर्ष से फसलें लगातार बिगड़ रही थीं, जिससे यह किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था। पिछले वर्ष मई में उसने अपने इकलौते पुत्र अभिषेक का विवाह किया था, तब उसने साहूकारों से कर्ज लिया था। दस एकड़ कृषि भूमि में से दो एकड़ कृषि भूमि बेचकर उनका कुछ कर्ज चुकाया था। इसके बाद भी उसे साहूकारों के कर्ज  से मुक्ति नहीं मिली, तब भी उसने कुएं में कूदकर जान देने का प्रयास किया था।


भाइयों ने बताया कि 9 लाख का था कर्ज
मृतक के भाई महेन्द्र सिंह, शिवराज सिंह ने बताया कि उनके भाई वीरेन्द्र यादव के पर 4 लाख रुपए का साहूकारों का कर्ज था। सेंट्रल बैंक में केसीसी के करीब ढाई लाख रुपए, एक अन्य बैंक का भी करीब ढाई लाख का कर्ज है। ब्याज बढ़ने से परेशान होकरउन्होंने करीब एक वर्ष पहले भी आत्म हत्या का प्रयास किया था।

इस किसान ने पठार की भूमि पर बोई सोयाबीन की कटाई मजदूरों से कराने के बाद शनिवार को उसकी थ्रेसिंग कराई थी। थ्रेसिंग कराकर देखा तो उसमें नाम मात्र का सोयाबीन निकलने पर वह घबरा गया। इसी बीच दोपहर में करीब तीन बजे बारिश होने लगी, तब किसान ने अपने भतीजे पुष्पेन्द्र यादव पुत्र अभिषेक यादव सहित मजदूरों से कहा कि आप लोग घर जाएं। भोजन आदि कर लें, यदि धूप निकलेगी तो फिर आ जाना, मैं नीचे वाले खेत को देखने के लिए जा रहा हूं। सभी लोग अपने अपने घर चले गए। कम सोयाबीन निकलने पर उसे अपनी फसल और बैंक व केसीसी का करीब 5 लाख का कर्ज और साहूकारों का भी करीब 4 लाख के कर्ज की चिंता पहले से ही थी। इसी सदमे में उसने पलाश के पेड़ पर फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली।

मृतक किसान वीरेंद्र यादव का एक बेटा व दो बेटियां हैं। बेटे की शादी पिछले वर्ष मई में हुई थी। एक बेटी शादी के लायक है। मृतक तीन भाइयों में सबसे छोटा है। बड़े भाई शिवराज सिंह यादव का करीब 25 दिन पहले पैर टूट गया। उन्हें प्लास्टर बंधा हुआ है। इस घटना के बाद से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

मृतक के पुत्र अभिषेक व भतीजा पुष्पेन्द्र ने बताया कि सरकार से कर्ज माफ नहीं हुआ। यही गम उनको था। फसल बरबाद हो गई। थोड़ी उम्मीद पठार के खेत में लगी सोयाबीन से थी। उस फसल से मजदूरी के भुगतान के लायक भी सोयाबीन नहीं निकला। अभी तक बरबाद फसल का सर्वे करने भी कोई नहीं पहुंचा है। उनका कहना था कि यदि सरकारी कर्ज माफ हो जाता तो शायद उनके पिता यह कदम नहीं उठाते।

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