नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (एनआईए) ने आतंकियों और अलगाववादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद की जांच में पाकिस्तान की सीधी भूमिका का दावा किया है। एनआईए की ओर से शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कहा गया है कि कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तानी उच्चायोग ने अलगाववादियों और उनके संगठनों को फंड मुहैया कराया।
एनआईए के मुताबिक, अलगाववादियों ने सरकार के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचा और घाटी में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देकर युद्ध जैसे हालात तैयार किए। कई हुर्रियत नेताओं, आतंकियों और पत्थरबाजों ने क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए आतंकी हमले और हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया। उच्चायोग से मिले फंड का इस्तेमाल घाटी में आतंकियों की सक्रियता बढ़ाने में किया था।
अलगाववादियों के ईमेल और वॉट्सऐप की जांच हुई
एनआईए ने 2017 में टेरर फंडिंग मामले में हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी, शब्बीर शाह, यासीन मलिक, असिया अंद्राबी और मसरत आलम को आरोपी बनाया था। जांच एजेंसी ने कहा है कि यासीन मलिक और शबीर शाह के ईमेल और वॉट्सऐप की जांच में उनके पाकिस्तान और अन्य देशों से फंड हासिल करने का पता चला है। इसी तरह मसरत आलम और असिया अंद्राबी के आतंकी संगठनों से रिश्ते थे।
आतंकी हाफिज का नाम भी चार्जशीट में शामिल
मुंबई हमले के गुनहगार आतंकी हाफिज सईद का नाम भी एनआईए की चार्जशीट में शामिल है। इसके मुताबिक, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकियों ने कुछ बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किए थे। इसके अलावा हवाला के जरिए भी बड़ी रकम कश्मीर भेजी गई थी।
