भोपाल। नई रेत नीति के तहत व्यवस्था लागू होने में देरी हो रही है। इससे प्रदेश के दस जिलों में रेत की कमी हो गई है। रेत की कीमतें नहीं बढ़े और बाजार में रेत उपलब्ध कराई जा सके इसके लिए कलेक्टरों ने सरकार से निजी भूमि एवं पंचायतों के अधीन जिन ठेकेदारों के पास रेत की खदानें हैं व रेत उत्खनन की विधिवत परमिशन है, उन्हें रेत खनन की अनुमति देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजे हैं। रेत की कमी वाले जिलों में सतना, सीधी, सिवनी, नरसिंहपुर, भिंड, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, शहडोल, बालाघाट और दतिया जिला शामिल हैं। खनिज विभाग ने कलेक्टरों के प्रस्ताव पर इन जिलों में रेत निकाले जाने की स्वीकृति दे दी है।
नई रेत नीति में शासन ने पंचायतों से रेत खदानों की नीलामी के अधिकार वापस ले लिए हैं और नई व्यवस्था में एक जिले में एक समूह को रेत का ठेका दिया जाना है। इसमें ठेकेदार उसके अंतर्गत अन्य छोटे ठेकेदारों को भी काम दे सकता है। खनिज विभाग ने नर्मदा नदी की 90 बड़ी खदानों के साथ ही प्रदेश में अन्य नदियों में 1430 खदानें चिन्हित की हैं, जिनमें रेत की उपलब्धता है। इन खदानों की टेंडर प्रक्रिया के अनुसार विधिवत नीलामी कर 8 नवंबर तक नीलामी किया जाना था, लेकिन नदियों में ज्यादा पानी होने से वहां कितनी रेत है। इस बात का सत्यापन नहीं हो पा रहा है। इसे देखते हुए सरकार ने ठेकेदारों से रेत की उपलब्धता का शपथ पत्र मांगा है, जिसे दिए जाने की तारीख बढ़ा दी है।
एेसे हुई रेत की कमी - प्रदेश में इस साल ज्यादा बरसात होने से नदियों में पानी भरा हुआ है। इससे किस खदान में कितनी रेत है। इस बात का सही आकलन नहीं हो पा रहा है। इस वजह से सरकार ने टेंडर भरे जाने की तारीख 8 नवंबर से बढ़ाकर 26 नवंबर कर दी है। साथ ही प्रदेश के दस जिलों के कलेक्टरों ने सरकार से रेत की कमी को देखते हुए नए टेंडर होने तक रेत निकाले जाने की मौजूदा व्यवस्था को लागू रखने के प्रस्ताव भेजे हैं, जिस पर सरकार ने वर्तमान प्रक्रिया के हिसाब से ही रेत निकाले जाने की अनुमति दे दी है।
सस्ती रेत उपलब्ध कराना है, इस पर काम चल रहा है
प्रदेश में मकान बनाने और अन्य निर्माण में रेत की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के लिए नई रेत में सभी प्रावधान किए गए हैं जिसे लागू कर दिया गया है। विधिवत रूप से रेत की खदानें समूहों को दिए जाने का काम जारी है। सरकार का उद्देश्य जनता को सस्ती रेत आसानी से उपलब्ध कराना है। इसी दिशा में काम चल रहा है। जिन जिलों में कलेक्टरों ने निजी भूमि और पंचायतों की खदानों से रेत निकाले जाने की अनुमति मांगी थी, उन्हें दी जा रही है।
- प्रदीप जायसवाल, खनिज साधन मंत्री
- प्रदीप जायसवाल, खनिज साधन मंत्री
