मुंबई। सरकार बनाने को लेकर महाराष्ट्र में 19 दिन से जारी उठापटक में मंगलवार को नया मोड़ आ गया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दोपहर में ही राज्य में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। इसे राष्ट्रपति की ओर से मंजूर कर लिया गया। शिवसेना ने संख्याबल बताने के लिए भाजपा की तुलना में कम समय दिए जाने को लेकर राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में बुधवार को सुनवाई हो सकती है। पार्टी अन्य याचिका में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले को चुनौती देगी। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल शिवसेना की तरफ से पैरवी करेंगे।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बावजूद शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस सरकार बनाने के अपने दावे से पीछे नहीं हटी है। मंगलवार को कांग्रेस नेताओं और राकांपा प्रमुख शरद पवार के बीच मुंबई में एक अहम बैठक हुई। दोनों पार्टियों ने सरकार गठन पर कहा कि सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद हम शिवसेना को समर्थन देने पर बात करेंगे। इस बीच, राकांपा ने आज फिर से मुंबई में अपने 54 विधायकों की बैठक बुलाई है।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार शाम को यह कहकर कि 'उनकी पार्टी ने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा है' सभी को हैरान कर दिया। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि हमारी राकांपा-कांग्रेस के साथ बातचीत जारी है। उद्धव ने रांकांपा और कांग्रेस के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या भाजपा के साथ विकल्प पूरी तरह खत्म हो चुका है? उद्धव ने कहा- 'आप इतनी जल्दी में क्यों हैं? ये राजनीति है। राज्यपाल ने हमें 6 महीने का समय दिया है। अगर भाजपा-शिवसेना का रिश्ता खत्म हुआ होगा तो उन्होंने खत्म किया होगा। जो बात उस वक्त तय हुई थी उस पर अमल करो यही हमारी मांग है।'
सरकार के गठन पर उद्धव ने कहा, 'हम तीन पार्टी (शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस) साथ आना चाहते हैं, लेकिन हमें वक़्त नहीं दिया गया। हमने राज्यपाल से कहा था कि सरकार बनाने के लिए चर्चा की जरूरत है। हमने सिर्फ 48 घंटे मांगे थे लेकिन राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की और अब हमें 6 महीने का वक्त मिल गया।'
इस बीच, भाजपा ने खुद को फिर सरकार बनाने की रेस से शामिल कर लिया है। भाजपा के राज्यसभा सांसद नारायण राणे ने दावा किया है कि बहुमत के लिए 145 सीटें जुटाकर सरकार बनाई जाएगी। राणे ने कहा, 'पार्टी राज्य में सरकार बनाने की कोशिश करेगी। इस दिशा में देवेंद्र फडणवीस प्रयास कर रहे हैं। सरकार बनाने के लिए उन्हें जो कुछ करना पड़ेगा उसके लिए तैयार हैं। शिवसेना ने ही हमें साम-दाम दंड भेद सिखाया है।'
राकांपा-कांग्रेस की कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने कहा था- पहले हम गठबंधन के दलों के बीच सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करेंगे और इसके बाद शिवसेना से भी बातचीत की जाएगी। उनसे भी सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट की जाएगी और उसके बाद ही सरकार बनाने के बारे में आगे कोई फैसला लिया जाएगा। शिवसेना ने पहली बार कांग्रेस और राकांपा से पहली बार 11 नवंबर से आधिकारिक तौर पर संपर्क किया था। अहम फैसला लेने से पहले जरूरी था कि सभी बिंदुओं पर स्पष्टीकरण होना चाहिए। जिस तरह से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई, उसकी हम आलोचना करते हैं। ये मनमाना तरीका है और इसकी हम निंदा करते हैं। यह लोकतंत्र और संविधान का मजाक उड़ाने की कोशिश है।
