लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाना होगा। मोदी सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार ट्रस्ट बनाने के लिए बिल पेश कर सकती है। यह सत्र 19 नवंबर से शुरू हो रहा है और 13 दिसंबर तक चलेगा।
विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के शीर्ष पदाधिकारी ने बताया कि हम ट्रस्ट के गठन में किसी तरह के हस्तक्षेप, सलाह या सुझाव देने से दूर हैं। सब कुछ केंद्र सरकार को तय करना है। हालांकि, ट्रस्ट का सदस्य बनने के लिए कुछ लोगों ने विहिप से संपर्क किया है, लेकिन हमारी दिलचस्पी किसी का भी नाम आगे बढ़ाने में नहीं है। सरकार ट्रस्ट बनाने के लिए इसी शीतकालीन सत्र में एक बिल भी ला सकती है।
राज्यसभा सांसद और वकील विवेक तन्खा कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए हैं। इस वजह से कानून बनाकर ट्रस्ट बनाए जाने की संभावना है। इस संबंध में बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित कराना होगा। कानून से अस्तित्व में आने वाला ट्रस्ट स्वायत्तशासी और ज्यादा सुरक्षित होगा।
फैसले के बाद केंद्र ने अयोध्या की अधिगृहित 67 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान के नेक्स्ट फ्रेंड त्रिलोकीनाथ पांडेय को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, पांडेय ट्रस्ट के गठन से पहले जमीन की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं। केस में रामलला विराजमान के नेक्स्ट फ्रेंड के तौर पर त्रिलोकीनाथ पक्षकार थे। कानूनी रूप से पांडेय को ही भूमि सौंपी जाएगी। राज्य और केंद्र के अधिकारी जमीन के दस्तावेजों को दुरुस्त करने और भूमि ट्रांसफर करने की प्रक्रिया में जुट गए हैं।
शीर्ष अदालत के फैसले के बाद पुलिस की टीमें सोशल मीडिया पर पैनी नजर रख रही हैं। ताकि आपत्तिजनक या भड़काऊ पोस्ट से किसी तरह का माहौल खराब न हो। उत्तर पुलिस ने आपत्तिजनक पोस्ट करने वालों के खिलाफ 65 केस दर्ज किए हैं। इससे जुड़े 99 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
