मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर खींचतान लगातार जारी है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया। इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ आने के संकेत दिए हैं। राकांपा की मुंबई इकाई के अध्यक्ष नवाब मलिक ने कहा है अगर शिवसेना सदन में भाजपा के खिलाफ वोट करती है, तो हम उसे समर्थन देने के बारे में सोच सकते हैं।
मलिक ने कहा, “अगर भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश करती है, तो सदन में फ्लोर टेस्टिंग के दौरान राकांपा उनके खिलाफ वोट करेगी। हम देखेंगे कि शिवसेना भी सरकार गिराने के लिए भाजपा के खिलाफ वोट करती है या नहीं। इसके बाद हम शिवसेना के नेतृत्व में वैकल्पिक सरकार के समर्थन के बारे में सोचेंगे।”
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में राकांपा नेता ने कहा, “राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाकर सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह पहले भी शुरू हो सकता है। राज्यपाल को अब एहतियात से काम लेना चाहिए, क्योंकि भाजपा के पास संतुलित सरकार बनाने के लिए विधायक नहीं हैं। उन्हें भाजपा द्वारा शुरू की गई खरीद-फरोख्त पर भी नजर रखनी चाहिए।” मलिक ने कहा कि पार्टी ने 12 नवंबर को राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के लिए विधायकों की बैठक बुलाई है।
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि बीजेपी-शिवसेना राज्य में सरकार बनाएं। हमें जनता ने विपक्ष के लिए चुना है, हम विपक्ष में ही बैठेंगे। मेरे पास अभी कहने के लिए कुछ नहीं है। भाजपा-शिवसेना को लोगों का जनादेश मिला है, इसलिए उन्हें जल्द से जल्द सरकार बनानी चाहिए। हमारा जनादेश विपक्ष की भूमिका निभाना है। पवार ने कहा- अब केवल एक ही विकल्प है कि भाजपा और शिवसेना को मिलकर सरकार बनाना चाहिए।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को विधानसभा चुनावों में सबसे बड़े दल भाजपा से कहा है कि अगर सरकार बनाना चाहते हैं तो सूचित करें। महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होने के 15 दिन बाद तक सबसे बड़े दल या गठबंधन की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया गया है। भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस शनिवार को राज्यपाल से मिले थे। मुख्यमंत्री फडणवीस ने शुक्रवार को राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था।
समीकरण: 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 105 विधायक हैं। बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी है। अगर भाजपा 29 निर्दलीय विधायकों को अपने साथ कर लेती है, तो उसका संख्या बल 134 का हो जाता है। बहुमत परीक्षण के दौरान ध्वनिमत से भाजपा अपना बहुमत साबित कर सकती है। 2014 में भी देवेंद्र फडणवीस सरकार ने ध्वनिमत से ही बहुमत साबित किया था। बहुमत परीक्षण के समय तक भाजपा और शिवसेना साथ नहीं थे। सत्ता गठन के कुछ समय बाद दोनों दलों का गठबंधन हो गया था।
