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5 लाख से 10 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स की दर 20% से घटाकर 10% की जा सकती है


नई दिल्ली। बजट में इस साल इनकम टैक्स में राहत मिलने की सबसे ज्यादा उम्मीद की जा रही है। जीडीपी ग्रोथ में गिरावट को देखते हुए सरकार ने सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स घटाया था, उसके बाद से ही पर्सनल इनकम टैक्स में कटौती की उम्मीदें बढ़ गईं। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि इनकम टैक्स में छूट की लिमिट मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख या 7 लाख रुपए की जा सकती है। हालांकि, बजट का समय करीब आने के साथ अब कहा जा रहा है कि टैक्स कलेक्शन के लक्ष्य से पिछड़ने की वजह से सरकार शायद छूट नहीं बढ़ाए, लेकिन टैक्स दरों में ऐसे बदलाव कर सकती है जिससे निम्न और मध्यम आय वालों को राहत मिल जाए। इन्हीं में से एक उपाय है 5 लाख से 10 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स की दर 20% से घटाकर 10% करना।

ऐसा करने से करीब 1.5 करोड़ व्यक्तिगत करदाताओं (इंडिविजुअल टैक्सपेयर) को फायदा होगा। वित्त वर्ष 2017-18 (असेसमेंट ईयर 2018-19) के लिए इंडिविजुअल कैटेगरी में 5 करोड़ 52 लाख 60 हजार 219 रिटर्न फाइल हुए थे। इनमें से 27% यानी 1 करोड़ 47 लाख 54 हजार 245 लोग 5 लाख रुपए से 10 लाख तक आय वाले थे।
5 लाख तक की आय पर टैक्स में रिबेट के जरिए पूरी छूट
पिछले साल अंतरिम बजट की घोषणा के मुताबिक 5 लाख रुपए तक आय टैक्स फ्री है। लेकिन, यह छूट रिबेट के जरिए मिलेगी। यानी आपकी आय 2.5 लाख रुपए से अधिक है तो रिटर्न भरना पड़ेगा, यह बात अलग है कि 2.5 लाख रुपए से अधिक और 5 लाख रुपए तक की आय पर जो टैक्स होगा उसमें रिबेट मिल जाएगी। इस बार चर्चा यह भी है कि बजट में 5 लाख तक की आय को पूरी तरह टैक्स फ्री किया जा सकता है। ऐसा हुआ तो इतनी इनकम वालों को अगले साल से रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी।
टास्क फोर्स की सिफारिश: 10 लाख से 20 लाख तक की आय पर 20% टैक्स लगे
नए डायरेक्ट टैक्स कानून का मसौदा तैयार करने के लिए नवंबर 2017 में बनी टास्क फोर्स 19 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। बजट में सरकार टास्क फोर्स की रिपोर्ट पर भी विचार कर सकती है। हालांकि, सरकार ने टास्क फोर्स की सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया है। लेकिन, सूत्रों के जरिए सामने आई जानकारी के मुताबिक टास्क फोर्स ने टैक्स स्लैब पर ये सिफारिशें की हैं-
स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाकर 60 हजार रुपए करने की सिफारिश
टास्क फोर्स ने टैक्स छूट की सीमा 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 6.5 लाख रुपए करने का सुझाव भी दिया है। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन मौजूदा 50,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपए करने को कहा है। टैक्स प्रणाली में ये बदलाव करने पर सरकार को 30,000 करोड़ रुपए से अधिक का भार उठाना पड़ सकता है।

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