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रतलाम में किसान महापंचायत: नेता बैठे जमीन पर, किसानों ने केंद्र सरकार को ललकारा



भोपाल। किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ रतलाम जिले के डेलनपुर गांव में हुई किसान महापंचायत में पहुंचे कांगे्रस के दिग्गज नेता जहां जमीन पर बैठे रहे, वहीं ट्रैक्टर ट्राली पर बनाए गए मंच से किसान नेताओं ने केंद्र सरकार को ललकारा। किसानों ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा और गांव-गांव फैलेगा।  डेलनपुर में किसान महापंचायत में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, विधायक कांतिलाल भूरिया, युवक कांग्रेस अध्यक्ष डॉ विकं्रात भूरिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव आदि पहुंचे। इनमें से सिर्फ अरुण यादव ने किसान नेता होने के नाते मंच से भाषण दिया, बाकी नेताओं ने भाषण नहीं दिया और किसानों के बीच में ही बैठे रहे। इसमें कांग्रेस या किसी भी पार्टी के झंडे बैनर नहीं लगाए गए थे। महापंचायत के मुख्य वक्ता रहे दिल्ली की सीमओं पर चल रहे किसान आंदोलन के नेता गुरुनाम सिंह चढूनी, जिन्होंने अंबानी, अडानी के साथ ही बाबा रामदेव को भी लपेटा और बाबा को नया कॉरपोरेट बताते हुए इनके उत्पादों के बहिष्कार का नारा दिया। उन्होंने गैर राजनीतिक महापंचायत में भाजपा और पीएम मोदी को कई बार निशाने पर लिया और कृषि कानूनों को बर्बाद करने वाला बताया। 

नहीं पहुंचे किसान, खाली रहा पंडाल

दिग्गज कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी के बाद भी महापंचायत किसानो को आकर्षित नहीं कर सकी। किसानों की संख्या कम होने से पंडाल खाली रहा। हालांकि ट्रैक्टर ट्राली पर बनाए मंच पर एक हल भी रखा गया था, जहां से कम्युनिष्ट नेताओं ने भी सम्बोधित किया।

स्वामीनाथन को वैद्यनाथन कमेटी बताया

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने भारत कृषक समाज की मप्र इकाई के अध्यक्ष के नाते संबोधित किया। यादव ने कृषि सुधारों के लिए गठित स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों का जिक्र करते समय स्वामीनाथन को वैद्यनाथन कमेटी बोलते रहे। 

महापंचायत में कांग्रेसी नेताओं का जमावड़ा

किसान पंचायत में आलोट विधायक मनोज चावला, सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत, जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजेश भरावा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र कटारिया, सहकारी बैंक के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह सोलंकी समेत अनेक कांग्रेस नेता मौजूद थे। आलोट विधायक मनोज चावला अपने साथ साफा बान्धे कई समथर्कों को लेकर पंहुचे थे। दूसरी ओर सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत द्वारा किसान पंचायत के लिए अपने समथर्कों की संख्या नहीं जुटाना चर्चा का विषय रहा। वहीं जिला प्रशासन ने भी किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए जबर्दस्त बन्दोबस्त किए थे।

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