मृतक पटवारी के परिजनों का आरोप कई बार फोन लगाने के बाद डॉक्टर ने देखा तक नहीं
अशोकनगर। बुधवार की सुबह जिला अस्पताल में एक पटवारी की उपचार न मिलने से मौत हो गई। पटवारी की पत्नि चन्देरी थाने में सब इंस्पेक्टर हैं। उनका आरोप है कि कई बार फोन लगाने के बाद भी डॉक्टर ने उनके पति को देखा तक नहीं। उपचार के अभाव में ही उनके पति की मृत्यु हुई है। दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ने पेशेंट को बैड एवं आॅक्सीजन उपलब्ध कराने की बात कही है।
अद्रियाना भगत चन्देरी थाने में सब इंस्पेक्टर हैं। उनके पति कमलेश भगत मुंगावली तहसील में पटवारी के रूप में पदस्थ थे। मंगलवार की रात में उनके पेट में दर्द था। जिस पर उन्हें उपचार के लिए चन्देरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जाया गया जहां आॅक्सीजन लेबिल कम देखकर डॉक्टर ने उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया। रात करीब 12.30 बजे श्री भगत को जिला अस्पताल लाया गया। उनकी पत्नि ने आरोप लगाया है कि रात में एक इंजेक्शन लगाया गया था इसके बाद से सुबह तक डॉक्टर उनके पति को देखने नहीं आए जबकि उन्होंने कई बार फोन लगाया एवं आॅक्सीजन एवं वेंटीलेटर की व्यवस्था कराने की गुहार लगाई लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उनकी बात अनसुनी कर दी। सुबह करीब 9 बजे जिला अस्पताल के फर्श पर ही सब इंस्पेक्टर के पति कमलेश भगत ने दम तोड़ दिया।
राजनेताओं के दावों की खुली पोल
जिला अस्पताल में लापरवाही के चलते किसी मरीज की मौत का यह पहला मामला नहीं है। हालांकि कुछ ही दिनों पहले राज्यमंत्री एवं जिले के कोविड प्रभारी बृजेन्द्र ङ्क्षसह यादव ने कहा था कि उपचार के अभाव में जिले में किसी की मौत नहीं हुई है और न ही होने दी जाएगी। बुधवार की सुबह महिला थानेदार के पति और कंटेनमेंट जोन के प्रभारी पटवारी कमलेश भगत की मौत ने इन दावों की पोल खोल दी है। सीएमएचओ डॉ. हिमांशु शर्मा से जब इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने यह कहकर कि अभी मुझे लोगों की जान बचाना है मुझे जान बचाने दो कहकर फोन काट दिया। भले ही सीएमएचओ फोन पर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित नजर आ रहे हों लेकिन असल हकीकत इससे दूर है। यही कारण हे कि जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं वेंटीलेटर पर हैं और मरीजों को समय पर उपचार न मिलने से उनको जान से हाथ धोना पड़ रहा है।