अचानक ऐसा क्या हुआ कि डेढ़ माह पुराने मामले पर एकजुट हुए पत्रकार ?
पत्रकारो से बदसलूकी की कहानी पुरानी है।
नगर के प्रतिष्ठित वकील के साथ अभद्रता का मामला भी पुराना हो चुका है ।
खण्डवा। की मीडिया ने सदैव अपनी गरिमा का ध्यान रखते हुए हर संवेदनशील मुद्दे पर जिला प्रशासन का साथ आँख मूंद कर दिया। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि खण्डवा जिले के पत्रकार कलेक्टर के ख़िलाफ़ लामबंद हो गए।
ऐसे कई सवाल प्रशासन सहित आम जन मानस के बीच उठ रहे है।
आईये इसके पीछे की कहानी को जानने की कोशिश करते है। खण्डवा कलेक्टर अनय द्विवेदी की अपनी वर्किंग स्टाईल रही है। उन्होंने अपने कार्यकाल में काम के अलावा किसी को भी तवज्जो नही दी। फिर चाहे वह जिले का प्रभारी मंत्री हो या विधायक। क्योंकि जनप्रतिनिधियों की भी यही शिकायत रही है कि बैठक के दौरान जब वे कोई बात पटल पर रखने की कोशिश करते थे तो कलेक्टर महोदय उन्हें बीच मे ही रोक देते रहे है। अब ज़नाब जब जिले में वरिष्ठ मंत्री की नही चलती तो पत्रकार किस खेत की मूली है। बस यही से मामला बिगड़ना आरम्भ हुआ।
मीडिया ने कोरोना की भयावहता और उससे जुड़े आंकड़ों को सामने लाना चाहा तो यह बात आंकड़ो के जादूगर को बुरी लगी। इस बीच सुरगांव बंजारी काण्ड हो गया। जिसमें पुलिसकर्मियों द्वारा एक महिला को बुरी तरह डंडों से पीटा गया।
हालांकि यह मुद्दा एक चुने हुए जनप्रतिनिधि ने उठाया। घटनाक्रम के वीडियो भी उसी जनप्रतिनिधि ने मीडियाकर्मियों को उपलब्ध करवाए। उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रही यह खबर जिला प्रशासन को विचलित कर गई। मुख्यमंत्री की फटकार भी झेलनी पड़ी। आनन फानन में मीडिया को साधने के लिए पत्रकारवार्ता बुलाई गई। यहां भी साहब ने रौब झाड़ते हुए मीडिया से सहयोग की अपेक्षा रखी। इसके बाद नकारात्मक खबरों की बाढ़ सी आ गई। जो जिले के मुखिया के आपा खोने की मुख्य वजह बनी। जिला चिकित्सालय में ऑक्सीजन का बजट बनाने पहुंचे। जिलाधीश ने कर्मचारियों के साथ एक पत्रकार को भी लताड़ लगा दी । उसके बाद पत्रकारो को धमकाने का क्रम जारी रहा। लेकिन खण्डवा का संवेदनशील मीडिया यह सब सहता हुआ चुप रहा, लेकिन ज्वालामुखी भीतर ही भीतर धधक रहा था। घटनाक्रम में नया मोड़ जब आया तब जिले के जनसम्पर्क अधिकारी को एक तरफा रिलीव कर दिया। खण्डवा पुनः सुर्खियों में आ गया। इस घटनाक्रम के दौरान वह आडियो भी वायरल हुआ। जिसमें कलेक्टर महोदय एक पत्रकार को धमकाते हुए कह रहे है। तू पत्रकार है बे। इसी आडियो ने चिंगारी का काम किया। जिले के सहनशील पत्रकारो को अन्य जिले के पत्रकार कोसने लगे। धिक्कारने लगे। कैसे पत्रकार हो ? जो अपमानित होकर भी कार्य करते हो। तब खण्डवा के पत्रकारों के मन मे आत्मसम्मान जागा और गुटों में बटे जिले के पत्रकार एक जाजम पर एकत्र हुए। जिसके परिणाम स्वरूप पत्रकारो ने इंदौर संभाग के कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर यह मांग कि की जिले में संवेदनशील कलेक्टर की पदस्थापना की जावे। जो जिले के हितों को दृष्टिगत रखने के साथ आम आदमी के सम्मान को भी बरकरार रखें ।
अनंत माहेश्वरी ।