कैलाश सनोलिया, नागदा। मप्र के उज्जैन के औद्योगिक नगर नागदा में करोड़ों की बेशकीमती भूमि पर मप्र शासन एवं ग्रेसिम उद्योग के बीच स्वामित्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भले विवाद जारी हो, लेकिन यह जमीन अभी रिकॉर्ड में शासकीय दर्ज है। यह बड़ा खुलासा बुधवार को विधानसभा में अतारांकित प्रश्र के माध्यम से राजस्व मंत्री गोविंदसिंह राजपूत ने किया। यह खुलासा नागदा-खाचरौद क्षेत्र के कांग्रेस विधायक दिलीपसिंह गुर्जर के एक अन्य प्रश्र के सपोर्ट में यह बात सामने आई। विधायक गुर्जर ने यह सवाल किया था कि नागदा- खाचरौद क्षेत्र में वर्ष 1984 से वर्ष 2021 तक कितने लोगों को पट्टे दिए गए। इन लोगों के नामों की सूची बताई जाए । दूसरा बड़ा सवाल यह थाकि मुख्यमंत्री ने बिड़ला ग्राम क्षेत्र की झुगी-झोपडियों को पट्टा देने की घोषणा की थी। इस पर जो भी कायर्वाही हुई उसका विवरण मांगा था। राजस्व मंत्री ने बिड़लाग्राम क्षेत्र में झुगी-झोपड़ियों वालों को पट्टा नहीं देने के लिए मुख्य दो कारण बताए। पहला कारण यह बताया कि इस इलाके में कुछ जमीन रेलवे बोर्ड की है। इसलिए राजस्व विभाग एवं नगरीय निकाय को रेलवे की भूमि पर पट््टा देने का अधिकार नहीं हैं।
राजस्व मंत्री ने किया बड़ा खुलासा
राजस्व मंंत्री ने बड़ा खुलासा यह किया कि बिड़लाग्राम ग्राम क्षेत्र में झुग्गी वासियों को पट्टे देने का सर्वे इसलिए नहीं किया गया कि बिड़ला समूह की भूमि जो वतर्मान में शासकीय दर्ज है। इस भूमि के संबंध में न्यायालय में प्रकरण चल रहा है। मंत्री के जवाब के मुताबिक रिट पिटीशन हाईकोर्ट क्रमांक 1310/ 2017 निर्णय दिनांक 3 अप्रैल 2018 द्धारा ग्रेसिम के पक्ष में निर्णय हुआ था। शासन हित में सुप्रीम कोर्ट एसएलपी सी क्रमांक 15837 / 2019 पंजीकृत दिनांक 10 जुलाई 2019 दायर की गई है। जोकि अभी विचाराधीन है। इस कारण इस इलाके में झुगी पट्टा देने का सर्वे नहीं किया गया।