Type Here to Get Search Results !

निजी मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों की फीस कम करने पर रोक

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन व राज्य सरकार के उस आदेश को स्थगित कर दिया, जिसके तहत निजी मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर फीस कम कर दी गई थी। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने चिकित्सा शिक्षा विभाग संचालक से मामले पर जवाब तलब किया। अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।

निजी मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन की ओर से यह याचिका दायर की गईं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी) ने फरवरी 2022 में एक आदेश जारी कर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए दिशानिर्देश जारी किए। इन दिशानिर्देशों के तहत प्रावधान किया गया कि निजी मेडिकल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों की फीस सरकारी मेडिकल कॉलेजों के समान रखी जाए। 20  जुलाई 2022 को चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक ने आदेश जारी कर कहा कि 2022-23 के सत्र से ही उक्त दिशानिर्देश लागू होंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता नागरथ ने कहा कि यह नियम असंवैधानिक है । मध्यप्रदेश में निजी मेडिकल कोलेजों मे सरकारी कोटा नहीं है। जबकि उक्त प्रावधान केवल उन राज्यों में लागू होना चाहिए, जहां निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी कोटा भी हो। उन्होंने तर्क दिया कि  निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस फीस नियामक कमेटी करती है। हर कॉलेज को मिलने वाली फीस तय होती है, जो प्रत्येक छात्र में बांट कर वसूली जाती है। उन्होंने बताया कि निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस लगभग 7-8 लाख रु है। जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज में फीस लगभग 1 लाख रु से भी कम है। उक्त प्रावधान के चलते याचिकाकर्ता निजी कॉलेजों के आधे छात्रों की फीस बहुत कम हो जायेगी। इससे उनकी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और वे कॉलेज नहीं चला पाएंगे। लिहाजा, इस प्रावधान को स्थगित किया जाए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उक्त प्रावधान पर रोक लगा दी।

केरल, तमिलनाडु में पहले ही मिल चुका है स्टे

इससे पूर्व केन्द्र सरकार द्वारा तय किए गए इस नियम के खिलाफ केरल, तमिलनाडु सहित कुछ अन्य राज्यों के निजी मेडिकल कॉलेज हाईकोर्ट गए थे। इन राज्यों में उन्हें पहले ही स्टे मिल चुका है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.