भोपाल। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर प्रदेशवासियों का आहवान किया कि देश की उपलब्धियों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें, हमारी एकता, श्रेष्ठता को नई ऊँचाई देने के लिए संकल्पित हों। देश की अखंडता और एकता के लिए अपने नागरिक कर्त्तव्यों को पूरा करते हुए, हमारा हर प्रयास सरदार पटेल के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। राज्यपाल श्री पटेल आज कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में भारत के पूर्व गृह मंत्री स्व. श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने राष्ट्रीय एकता दिवस कार्यक्रम की सराहना करते हुए राज्य सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज़ाद भारत के निर्माण में सबका प्रयास जितना प्रासंगिक था, आज आज़ादी के इस अमृतकाल में उससे कहीं अधिक जरूरी है। आज़ादी का यह अमृतकाल, विकास की अभूतपूर्व गति का, कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का और सपनों के भारत के नवनिर्माण का है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, सरदार वल्लभभाई पटेल के देशहित को सर्वोपरि रखने के आदर्शों से प्रेरणा लेकर सशक्त, समावेशी, संवेदनशील, सतर्क, विनम्र और विकसित राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज भारत, बाहरी और आंतरिक चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम हो रहा है। पिछले 8 वर्षों में देश ने दशकों पुराने अवांछित कानूनों से मुक्ति पाई है। राष्ट्रीय एकता को संजोने वाले आदर्शों को नई ऊँचाई दी है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत की इसी भावना को मजबूत करते हुए, देश में सामाजिक, आर्थिक और संवैधानिक एकीकरण का महायज्ञ चल रहा है। देश आत्म-निर्भरता के नए मिशन पर चल रहा है। राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए जल, थल, नभ, अंतरिक्ष और हर मोर्चे पर भारत का सामर्थ्य और संकल्प अभूतपूर्व है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत माता की अतुलनीय सेवा की। वे भारत के ऐसे गृह मंत्री थे, जिन्होंने दृढ़संकल्प से अंग्रेजों की भारत को बाँटने की कुटिल चाल को असफल किया। सरदार पटेल ने संघर्ष का इतिहास बनाया। परतंत्रता की बेड़ियों से देश को आजाद कराने में भी योगदान दिया। चाहे खेड़ा आंदोलन हो या बारडोली सत्याग्रह या फिर भारत छोड़ो आंदोलन। सरदार पटेल ने सभी में योगदान दिया। उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान 563 भारतीय रियासतों का भारतीय संघ में सफलतापूर्वक विलय करवाना है। उन्होंने रियासतों के नवाबों और राजाओं को बुलाया और उन्हें भारतीय संघ में विलय के लिए तैयार किया। जो सहज भाव से राष्ट्र की एकता के लिए इस पर सहमत नहीं थे, तो उन्होंने कठोरता का भी उपयोग किया। इस तरह उन्होंने अंग्रेजों के षड़यंत्र को साहस के साथ नाकाम कर भारत को एक करने का कार्य किया।
