बेगमगंज। संस्कारोदय इंटरनेशनल एकेडमी , सुल्तानगंज में सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. सर हरि सिंह गौर की 153 वी जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।
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| डॉक्टर गौर की जयंती कार्यक्रम |
डॉ गौर के बारे में विद्यालय की शिक्षिका पूजा जैन ने बताया कि डॉ गौर का जन्म 26 नवंबर 1870 हो हुआ था। उन्होने बच्चों के उज्जवल भविष्य को देखते हुए अपनी स्वयं की संपत्ति से 20 लाख रुपए और करीब 2 करोड़ रुपए की जमीन दान कर सागर विश्वविद्यालय का निर्माण कराया। यह देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जो किसी व्यक्ति द्वारा इतना पैसा दान कर बनाया गया। डॉ साहब संविधान सभा में उपसभापति के पद पर भी कार्यरत रहे साथ ही डॉ गौर देश के प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति एवं नागपुर विश्वविद्यालय कुलपति तथा सागर विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे । डॉक्टर गौर का मानना था कि शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है जिससे समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि डॉ. हरी सिंह गौर का योगदान इसलिए महान है क्योंकि उन्होंने सागर और बुंदेलखंड की मुख्य समस्या गरीबी और पिछड़ेपन को चिन्हित किया और इस समस्या का समाधान शिक्षा में बताया। डॉ. गौर इस निर्णय पर पहुंचे कि यदि यहां के लोगों को उच्च शिक्षा मिल जाए तो इनकी गरीबी और पिछड़ापन स्वमेव ही दूर हो जाएगा और यह एक बेहतर समृद्ध समाज बन सकेगा। स्मरण कीजिए कि डॉ. भीमराव आंबेडकर साहब भी ठीक इसी निष्कर्ष पर पहुंचे थे और उन्होंने भी वंचित समाज को शिक्षित बनने का संदेश दिया था। हालांकि डॉ. हरी सिंह गौर का जन्म डॉ. आंबेडकर साहब से लगभग 21 वर्ष पूर्व 1870 में हुआ। डॉ. गौर साहब ने अशिक्षा से गरीबी, पिछड़ापन दूर करने के अपने निष्कर्ष को समाधान का रूप देने की कोशिश की जो सदैव याद रखी जाएगी।
उपस्थित छात्र-छात्राओं सहित ग्राम के प्रमुख लोगों ने श्री गौर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया।

