बेगमगंज। सरकार की ओर से चलाए जा रहे मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान के तहत दिसंबर-23 तक भारत को मीजल्स-रूबेला मुक्त करने के लिए टीकाकरण अभियान दो चरणों में चलाया जा रहा है। जिस तरह सरकार ने भारत को पोलियो मुक्त बनाया है उसी तरीके से रूबेला मुक्त बनाने का संकल्प लिया है।
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प्रशिक्षण और समीक्षा के दौरान रूबैला मीजल्स चक्र के बारे में समझाते हुए |
अभियान के अंतर्गत टीकाकरण दल के ओर से मीजल्स-रूबेला के प्रथम व द्वितीय खुराक से वंचित बच्चों को मीजल्स-रूबेला के टीके लगाए जाएंगे। मीजल्स- रूबेला एक जानलेवा बीमारी है। यह 9 माह से 5 वर्ष के बच्चों में बहुतायत देखी जाती है। इस बीमारी से बच्चे की मृत्यु तक संभव है। इस बीमारी को टीकाकरण की ओर से रोका जा सकता है व बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है।
उक्त बात सिविल अस्पताल के सभाकक्ष में टीकाकरण प्रशिक्षण एवं समीक्षा बैठक में भोपाल से आए राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर संतोष शुक्ला ने उपस्थित आशा कार्यकर्ताओं को बताई।
उन्होंने इस अवसर पर मीजल्स रूबेला टीकाकरण चक्र का प्रदर्शन भी किया और कहा कि इससे पूर्व आशा कार्यकर्ताओं को कैलेंडर से जूझना पड़ता था, लेकिन इस चक्र के माध्यम से बहुत आसानी हो गई है जिसका प्रैक्टिकल करके उन्होंने बताया।
प्रशिक्षण के दौरान श्री शुक्ला ने जानकारी दी कि खसरा एक घातक बीमारी है और देश में बाल मृत्यु दर के मुख्य कारणों में से एक है। विश्व स्तर पर, 2015 में, खसरे से अनुमानित 1,34,200 बच्चों की मौत हुई, जिनमें से ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के थे। भारत में इसने 49,200 बच्चों की जान ली थी। रूबेला आम तौर पर एक हल्का संक्रमण होता है, लेकिन इसके गंभीर परिणाम होते हैं यदि संक्रमण गर्भवती महिलाओं में होता है, जिससे जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) होता है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का कारण है। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे जाकर लोगों को समझाएं कि टीकाकरण से ना डरे, बीमारियों से डरे, टीकाकरण बच्चों के जीवन के लिए जरूरी है।
इस अवसर पर उन्होंने सिविल अस्पताल में टीकाकरण की स्थिति की समीक्षा भी की और सीबीएमओ अनिल कुमार को आवश्यक निर्देश दिए। तथा मीजल्स रूबैला अभियान का प्रचार-प्रसार कर लोगों को शत प्रतिशत टीकाकरण के लिए तैयार करने की हिदायत दी। इस अवसर पर बीपीएम जय सिंह, लेखापाल सुनील राय, टीकाकरण प्रभारी और अन्य नर्सेज मौजूद थी।