वन विभाग अमले ने किया अंतिम संस्कार
गैरतगंज। वन परिक्षेत्र गढ़ी के अंतर्गत बोरपानी क्षेत्र में एक मादा बाघ का मृत अवस्था मे शव मिला है। इस तरह बाघ का शव मिलने की सूचना मिलते ही वन अमला मौके पर पहुंचा। तथा शव परीक्षण के बाद वन विभाग अमले ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
जानकारी के अनुसार वन परिक्षेत्र के बोरपानी के जंगलों में गुरुवार की शाम वन अमले के भ्रमण के दौरान एक मादा बाघिन का शव मिलने की जानकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। सूचना में बताया गया कि एक मादा बाघ जिसकी उम्र लगभग 5 वर्ष है का शव बोरपानी के कक्ष क्रमांक आरएफ 14 में मिला है। जानकारी मिलने के बाद आनन फानन में वन मंडलाधिकारी रायसेन एवं वन परिक्षेत्र गढ़ी के अधिकारी मौके पर पहुंचे तथा शव का निरीक्षण किया। तथा दूसरे दिन शुक्रवार को मृत मादा बाघ का शव परीक्षण एवं शव विच्छेद परीक्षण जिला रायसेन के डॉक्टर एसके कपूर पशु चिकित्सालय रायसेन, डॉ अमित ओड, रातापानी अभ्यारण के पैनल द्वारा किया गया। इस अवसर पर एनटीसीए के प्रतिनिधि के रूप में डॉ प्रशांत देशमुख प्राणी चिकित्सक वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट भोपाल, राज्य टाइगर स्ट्राइक फोर्स के उप निरीक्षक अमित पाटोदी अपनी टीम के साथ उपस्थित रहे। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के डॉग स्क्वायड एवं रातापानी अभ्यारण के डाग स्क्वायड की टीम के द्वारा भी प्रारंभिक जांच की गई है। बाद में परीक्षण उपरांत मृतक मादा बाघ का अंतिम संस्कार वन संरक्षक भोपाल वृत भोपाल राजेश कुमार खरे की उपस्थिति तथा अन्य चिकित्सकीय दल एवं अधीनस्थ अधिकारियों कर्मचारियों की मौजूदगी में किया गया।
पूरे मामले में मीडिया से बनाई गई दूरी
इस घटनाक्रम की सूचना के बाद वन अमला मौके पर ही उपस्थित रहा। इस बड़े घटनाक्रम की जानकारी जब मीडियाकर्मियों को लगी तो वन विभाग के अधिकारियों ने मीडिया को मौके पर जाने से रोक दिया। यही नही वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अपने मोबाइल भी बंद कर लिए। शुक्रवार को सुबह से लेकर शाम तक चली इस कार्रवाई में मीडिया से वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बनाई गई दूरी कई प्रकार के संदेह पैदा कर रहा है। मादा बाघ की अचानक मौत के मामले में कोई भी वन विभाग का अधिकारी संतोषप्रद जानकारी देने से बचते नज़र आये। तथा बाघ के शव के परीक्षण सहित अंतिम संस्कार तक दिया पर किसी को मौके पर नही जाने दिया। शुक्रवार की देर शाम एक प्रेस नोट बनाकर मीडिया कर्मियों को पकड़ा दिया। जिससे यह तो स्पष्ट हो रहा कि उक्त घटना में कुछ ऐसी बाते है जिनसे वन विभाग किसी को रूबरू नही कराना चाहता था। हालांकि वन विभाग की इतनी बड़ी लापरवाही के चर्चे क्षेत्र भर में जोरो पर है।

