बेगमगंज। नगर कंजी कुआं स्थिति श्री राधा कृष्ण मंदिर गढ़ोईपुर में शेर सिंह जी जाट एवं जाट परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस रविवार को कथा मैं राजा परीक्षित के वृतांत का विस्तार से वर्णन किया गया। कथा वाचक आचार्य जितेंद्र चौबे जटाशंकर धाम ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की कृपा है। जिसकी वजह से आप आज कथा का आनंद ले रहे है। श्रीमद भगवत कथा का रसपान कर पा रहें हैं क्योंकि जिन्हें गोविन्द प्रदान करते है जितना प्रदान करते है उसे उतना ही मिलता है। कथा में यह भी बताया की अगर आप भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं, कुछ सीखना चाहते है तो कथा में प्यासे बन कर आए, कुछ सीखने के उद्देश्य से, कुछ पाने के उद्देश्य से आएं, तो ये भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ देगी।
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| श्रीमद् भागवत कथा |
उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है। मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ति शाश्वत है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है और अगर हम ये दृढ़ निश्चय कर लेंगे कि हमें जीवन में कृष्ण को पाना ही है तो हमारे लिए इससे प्रभु से बढ़कर कोई और सुख, संपत्ति या सम्पदा नहीं है
भगवत कथा के समय स्वयं श्रीकृष्ण आपसे मिलने आए हैं। जो भी इस भागवत के तट पर आकर विराजमान हो जाता है, भागवत उसका सदैव कल्याण करती है। उन्होंने कहा कि बिना जाति और बिना मजहब देखे इनसे आप जो मांगे ये आपको वो मनवांछित फल देती है और अगर कोई कुछ न मांगे तो उसे मोक्ष परियन्त तक की यात्रा कराती है।
कथा में राजा परीक्षित की जीवन चरित्र का श्रवण कराते हुए कहा कि राजा परीक्षित के जीवन से हमे शिक्षा मिलती है कि राजा ने विद्यालय कुएं तालाब बावड़ी सामूहिक धर्मशाला आदि नगर वासियों के लिए बहुत सी सुंदर-सुंदर व्यवस्थाएं की थी अतः आज के सत्ताधारीयों को भी राजा परीक्षित के जीवन चरित्र से शिक्षा लेकर जनता के सहयोग में अधिक से अधिक विकास कार्य करना चाहिए तथा ऋषि श्रृंगी द्वारा राजा परीक्षित के श्राप की कथा एवं परीक्षित श्रृंगी ऋषि की दिव्य झांकी का दर्शन भी कराया गया समस्त श्रोताओं ने अत्यधिक आनंद लिया।

