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प्रधानमंत्री ने कहा जीवन के आनंद के लिए डिजिटल फास्टिंग करें

भोपाल। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल आज राजभवन भोपाल से आभासी माध्यम से शामिल हुए। राज्यपाल ने कार्यक्रम में सहभागिता के लिए श्रमोदय विद्यालय भोपाल के कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं को राजभवन आमंत्रित किया था। उन्होंने प्रत्येक बच्चे का परिचय प्राप्त किया। उनके आस-पास के परिवेश के प्रति अभिरूचि और सामान्य ज्ञान के संबंध में जानकारी भी ली। बच्चों से पूछा कि वर्तमान मौसम का कृषि फसलों पर क्या प्रभाव होगा। बच्चों ने बताया कि खेत में लगी फसल के आधार पर ही नुकसान और फायदे का निर्णय किया जा सकता है। राज्यपाल को विद्यालय की छात्रा लक्ष्मी अहिरवार ने छत्तीसगढ़ की डोगरा कला की मूर्ति दिखाई। बताया कि उसके द्वारा निर्मित मूर्ति का ताल कटोरा स्टेडियम में लगी प्रदर्शनी के टेबल क्रमांक दो में प्रदर्शन किया गया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज परीक्षा पे चर्चा के 6वें संस्करण में ताल कटोरा स्टेडियम नई दिल्ली में उपस्थित और आभासी माध्यम से जुड़े 150 देशो के छात्र-छात्राओं, 51 देशों के शिक्षकों और 50 देशों के अभिभावकों से चर्चा कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन के आनंद के लिए डिजिटल फास्टिंग की जानी चाहिए। सप्ताह में कुछ दिन अथवा कुछ घंटे डिजिटल फास्टिंग और घर में नो टेक्नोलॉजी जोन बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बौद्धिकता का दायरा बहुत व्यापक है। जरूरी है कि गैजेट्स का उपयोग अपनी क्षमता और रचनात्मकता को खोए बिना किया जाये। तकनीक पर आश्रित होने के प्रति सचेत करते हुए व्यक्तित्व क्षमताओं की परीक्षा करते रहने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने यह बात शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोहेफिजा भोपाल के छात्र दीपेश अहिरवार के प्रश्‍न के उत्तर में कही है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चर्चा में विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावको के प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्होंने अभिभावकों की अपेक्षाओं का सामना करने के संबंध में बच्चों से कहा कि हो सकता है आप स्वयं की क्षमता का आंकलन कम कर रहे हो। परिवार की अपेक्षाओं को बेहतर के लिए प्रेरणा के रूप में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टेडियम के दर्शकों की मांग से प्रभावित हुए बिना खेल पर ध्यान केन्द्रित कर खेलने वाले खिलाड़ी के समान व्यवहार करते हुए आसानी से अपेक्षाओं के संकट को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समय प्रबंधन के लिए सप्ताह भर की गतिविधियों को नोट करने और उसके आधार पर सबसे कम और सबसे अधिक पसंद के अनुसार अध्ययन को क्रमबद्ध कर व्यवस्थित करें। मेंहनत से थकान नहीं संतोष मिलता है। प्रयास नहीं करने पर, इतना काम करना है, का भाव बनता है। यही थकान का कारण बनता है। समस्याओं का समाधान बलपूर्वक नहीं, सहजभाव के साथ प्रयासों से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता के लिए बाहरी तत्वों पर नहीं, भीतर की ताकत पर विश्वास जरूरी है। एक परीक्षा की सफलता, विफलता से जीवन नहीं बनता। सफल जिंदगी के लिए परिस्थितियों को समझकर कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सार्मथ्य को पहचानना ही सार्मथ्यवान बनना है। ऐसे सामान्य लोगों के द्वारा किए गए असामान्य कार्य ही विशिष्ट उपलब्धि बनते हैं।

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