बेगमगंज। आज लोग दूसरों को खुश करने के लिए अपने दायरे से बाहर निकलकर ऐसे काम कर देते हैं जिससे उन्हें पता ही नहीं चलता कि वह कब इस्लाम से खारिज हो गए। इसी से ताल्लुक रखने की मनाई नहीं है लेकिन इस्लाम के दायरे में रहकर सारे रिश्ते नाते निभाना चाहिए दुनिया की पढ़ाई भी हमें अपने बेटे बेटियों को दायरे में रहकर कराना चाहिए ऐसी पढ़ाई किस काम की हमारी बेटियां इस्लाम से खारिज होने की कगार पर पहुंच जाएं यह मुरतद हो जाएं। हमें खुदा से उसी तरह डरना चाहिए जिस तरह से डरने का हक है। तुम जब दुनिया से जाओ तुम मुसलमान बनकर जाओ ऐसा ना हो कि तुम गैर मुस्लिम बंद कर इस दुनिया से जाओ।
![]() |
मरकज मस्जिद का खूबसूरत मीनार |
उक्त बात जुमे की नमाज से पहले मरकज मस्जिद में पेश इमाम मौलाना सामिद खां नदवी ने खास तौर पर नौजवानों को समझाइश देते हुए कही । मक्का मस्जिद बालाजी टेकरी पर मौलाना नजर मो. गोंडवी ने पवित्र माह रमजान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साल के 12 माह में से 11 माह अपनी मर्जी के मुताबिक गुजारते हो एक महीना रमजान जो खुदा का महीना है उसे खुदा के बताए तरीके से गुजार कर देखो पूरी जिंदगी का नक्शा बदल जाएगा। क्योंकि रमजान का महीना खुदा का महीना है अरे नेकी का सवाब तय है लेकिन रोजे का सवाब खुदा खुद बंदे को देगा । इसलिए हमें माहे रमजान की कद्र करना चाहिए।
मदीना मस्जिद पठान वाली में मुफ्ती रुस्तम खान नदवी ने रमजान माह मैं कुरआन पाक की तिलावत, तरावियों का पूरे माह पढ़ना और नफली इबादत है शौक और जौक से करने को लेकर उनकी अहमियत बयान की और लोगों से माहे रमजान में फिजूल कामों से बचने और अपने गुनाहों का एतराफ खुदा के सामने करके उससे माफी मांगने अस्तगफार और तोबा करने की नसीहत की।
शहर की अन्य मस्जिदों में माहे रमजान को लेकर तकरीरें की गई ताकि लोग भूख प्यास की शिद्दत को बर्दाश्त कर रोजा रखकर खुदा को राजी करने वाले बन सके।