भोपाल। मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग अंतर्गत सिंधी साहित्य अकादमी द्वारा भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भाषाएँ शामिल होने के दिवस (सिंधी भाषा दिवस) 10 अप्रैल के मौके पर प्रदेश में 3 संभाग भोपाल,ग्वालियर और उज्जैन में वरिष्ठ साहित्यकारों की स्मृति में कार्यक्रम की रचना की गई। भोपाल में यह कार्यक्रम वरिष्ठ कवि और नाटककार स्व. खियलदास बेगवानी "फानी" की स्मृति में किया गया। संत हिरदाराम नगर में संस्कार विद्यालय में कार्यक्रम में काव्य पाठ भी हुआ। यह कार्यक्रम 12 अप्रैल की शाम वीना समाज सेवा समिति संत हिरदाराम नगर के सहयोग से किया गया।
सिंधी साहित्य अकादमी के निदेशक श्री राजेश कुमार वाधवानी ने स्वागत भाषण में कहा कि शिक्षण संस्थाओं में सिंधी भाषा के साप्ताहिक या पाक्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए अकादमी पूरा सहयोग करेगी। यहाँ सिंधी कक्षाओं के लिए विद्यार्थियों की रुचि को देखते हुए योग्य शिक्षकों को दायित्व देने में अकादमी पूरा सहयोग करेगी।
कार्यक्रम में भोपाल की सुश्री द्रोपदी धनवानी, श्री ओमप्रकाश टहलियानी पखी और नर्मदापुरम के अशोक जमनानी ने कविताएँ सुनाई। श्री जमनानी ने "मुअन जो दड़ो" शीर्षक से बेहतरीन काव्य पाठ किया। इस कविता में उनका कहना था कि मृतकों का टीला नाम है लेकिन वह स्मारक सदा हयात है। उसका अस्तित्व शताब्दियों से है। सिंधु घाटी की सभ्यता कितनी उन्नत थी, यह उसकी एक-एक ईंट सप्रमाण बताती है, जो आज भी यथावत है। लेखक श्री अशोक मनवानी ने फानी साहब को याद करते हुए बताया कि वे कभी अकादमी के उपाध्यक्ष भी रहे थे। उन्होंने अनेक शिष्य को काव्य सृजन से जोड़ा। उनकी सरल जीवन शैली थी। एक समर्पित और कर्मठ शिक्षक भी थे।भोपाल में सिंधी नाटकों की जमीन फानी साहब ने ही तैयार की। उन्होंने सैकड़ों कलाकारों को अभिनय में दक्ष बनाने में निर्देशक श्री अशोक बुलानी का योगदान लिया।
कार्यक्रम में सर्वश्री सुशील वासवानी, विष्णु गेहानी, खीमन यू मूलानी, कन्हैयालाल मोटवानी, नंदकुमार सनमुखाणी, श्रीमती किरण वाधवानी, शीतल चेलानी, नरेश गिदवानी, नरेश ज्ञानचंदानी, आनंद सभधाणी, गोपाल गिरधानी, दिलीप लालवानी और अनेक साहित्य कला प्रेमी उपस्थित थे।
