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बात निर्दलीय उम्मीदवारों की… कोई 300 चुनाव लड़ा, किसी का नाम पड़ा ‘धरती-पकड़’, किसी ने जमानत के ही 80 लाख जब्त करा लिए

19 अप्रैल से लेकर 1 जून तक देशभर में सात चरणों में लोकसभा के चुनाव होने हैं। इस बीच, पहले और दूसरे चरण का नामांकन खत्म हो चुका है। इस तरह से तमाम दलों के नेता चुनावी रण में उतर चुके हैं। इस सियासी समर में कई निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन निर्दलियों में कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने दशकों से चुनाव में अपना भाग्य आजमाया है। हर बार की तरह इस बार भी कई निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कुल 8,054 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिनमें से 3,461 निर्दलीय थे। निर्दलीय उम्मीदवारों में से महज 4 ही जीतकर संसद पहुंचे थे। 

कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने उन्हें वोट न देने की अपील करने से लेकर, हर चुनाव में नाम बदलने से लेकर जमानत राशि में बड़ी रकम खोने तक ये सब करने की कोशिश की है लेकिन चुनाव में जीत नसीब नहीं हुई। आज बात करेंगे इन्हीं निर्दलीय उम्मीदवारों से जुड़े दिलचस्प किस्सों की…

‘चुनावी राजा’ जो खुद को वोट देने से ही मना करते हैं

तमिलनाडु के के. पद्मराजन गर्व से खुद को ‘चुनावी राजा’ कहते हैं। पद्मराजन चुनाव मैदान में एकमात्र उम्मीदवार हो सकते हैं जो लोगों से उन्हें वोट न देने का आग्रह करते हैं। 65 वर्षीय पद्मराजन ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उनका ‘सबसे असफल उम्मीदवार’ होने का तमगा बरकरार रखे। पद्मराजन भले ही इसे उपलब्धि बताएं लेकिन उनकी हार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुकी है। इसके अलावा वह सबसे अधिक चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं। के. पद्मराजन का दावा है कि धूमधाम के साथ पर्चा भरने के खर्च के अलावा उनकी जमानत राशि में अब तक 80 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। पद्मराजन टायर मरम्मत की दुकान के मालिक हैं। 

पद्मराजन अपने 239वीं बार चुनावी रण में उतरने की तैयारी में हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए केरल के त्रिशूर और तमिलनाडु के धर्मपुरी से अपना नामांकन दाखिल किया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए पद्मराजन बताते हैं कि उन्होंने 1988 में तमिलनाडु में अपने गृह नगर मेट्टूर से चुनाव लड़ना शुरू किया और अब तक 238 चुनाव लड़ चुके हैं। पद्मराजन पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहार वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। इसके अलावा जयललिता, एम करुणानिधि, वाईएसआर रेड्डी और एके एंटनी जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों से लेकर फिल्मस्टार हेमा मालिनी और विजयकांत तक के खिलाफ पद्मराजनन ने चुनाव लड़ा है।

पद्मराजनन कहते हैं, ‘यह मेरा 239वां प्रयास होगा। मैं हर बार एक अनोखी लड़ाई चुनी।’ इस बार दक्षिण भारत से चुनाव लड़ रहे नेता का चुनाव अभियान भी अनोखा है। पद्मराजनन बताते हैं, ‘मैं लोगों से कहता हूं कि वे मुझे वोट न दें, मुझे वोट नहीं चाहिए लेकिन मैं सबसे असफल उम्मीदवार का तमगा अपने पास रखना चाहता हूं। मैं प्रचार नहीं करता, लेकिन जब मैं नामांकन दाखिल करने जाता हूं, मैं इसे भव्य तरीके से करता हूं।’

मध्य प्रदेश की इंदौर के परमानंद तोलानी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं जिन्होंने तीन दशकों तक बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ा। परमानंद ने पीटीआई को बताया, ‘मेरे पिता का 1988 में निधन हो गया और मैं उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं। मैंने अब तक 8 लोकसभा और 8 विधानसभा सहित 18 चुनाव लड़े हैं। मैं आगामी लोकसभा चुनाव भी लड़ूंगा।’

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