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मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अवधारणा का पर्याय बना मनासा का सांदीपनि विद्यालय

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मध्यप्रदेश में सांदीपनि विद्यालयों की उत्कृष्ट और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बेहतर परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं। उन्होंने यह निर्णय भगवान श्रीकृष्ण के गुरू आचार्य सांदीपनि के सम्मान में लिया है। उच्च गुणवत्ता शिक्षा, अनुशासन और बेहतर शिक्षण शोध के संगम से सांदीपनि विद्यालय एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गए हैं। नीमच जिले के उपखण्ड मुख्यालय मनासा का सांदीपनि विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। यहाँ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है, जिससे यह विद्यालय क्षेत्र में एक आदर्श शैक्षणिक संस्थान के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। इस विद्यालय ने शिक्षा के साथ ही अनुशासन संस्कार और आधुनिक तकनीकी शिक्षण में उत्कृष्ट उपलब्धियाँ हासिल की है।

घर से विद्यालय तक के नवाचार सभी कक्षाओं के लिए सुबह उठने के बाद माता-पिता के चरण स्पर्श करने, विद्यालय आते समय दादा-दादी, नाना-नानी या जो भी बड़े हों, उनका आशीर्वाद लेने जैसे संस्कार विद्यालय को अनूठा बना रहे हैं। बस के लिए अनुशासन में खड़े रहने, बस में अनुशासन से चढ़ने व बैठने, विद्यालय पहुंचते ही पंक्तिबद्ध होकर उतरने,विद्यालय की दहलीज को नमन करने, गुरुजनों को नमन करने, मां सरस्वती को नमन करना, अपने पगवेश (जूते) पंक्तिबद्ध तरीके से रखने, प्रार्थना सभा के लिए पंक्तिबद्ध होकर आने, कॉरिडोर में हमेशा हाथ बांधकर चलने, प्रार्थना सभा में सक्रिय सहभागिता करने, प्रार्थना सभा समाप्त होने पर मौन होकर कक्षा में जाने जैसे अनुशासन ने इस विद्यालय को उच्च संस्कार से सुशोभित किया है। कक्षा के प्रवेश द्वार पर कक्षा अध्यापक का आशीर्वाद एवं अनुमति लेकर प्रवेश करने, विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए कक्षा के नियमों का पालन करने, कक्षा की शुरुआत संस्कारों की बातों से करने,सभी विषयों का गहन अध्ययन करने, भोजन से पहले हाथ धोने, भोजन प्रार्थना एक स्वर में बोलने, थाली में झूठा भोजन न छोड़ने और न नीचे गिराने,एक साथ भोजन करने और भोजन के बाद अपनी थाली उठाने, छुट्टी समय पंक्तिबद्ध होकर कक्षा से बाहर आने,कक्षा की लाइट व पंखे बंद करने, रूट नंबर के अनुसार लाइन बनाने एवं अनुशासन से बस में बैठने सम्बधी नवाचार किए जा रहे है। कक्षा 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षा में प्रदेश मेरिट सूची में आने पर विद्यार्थी के नाम से कक्षा का नामकरण किया जा रहा है।

विद्यालय में कक्षा 8वीं, 10वीं एवं 12वीं अर्द्धवार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त तीन विद्यार्थियों को “एक दिन का प्राचार्य” बनाया जाता है। ऑनलाइन टेस्ट-सीरीज के माध्यम से विषय सामग्री को सरल और रोचक बनाया गया है।, जिससे विद्यार्थी बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें। विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि में विचारशील व कर्मशील व्यक्तियों का सम्मान किया जाता है। ताकि विद्यार्थियों को प्रेरणा मिल सके।  उत्कृष्ट कार्य करने वाले विद्यार्थियों को एक दिवस का प्राचार्य बनाया जाता है, जिससे उनमें नेतृत्व व प्रबंधन कौशल का विकास हो सके।

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