हाईकोर्ट के निर्देश पर 2005 से जहरीले कचरे के निपटान की प्रक्रिया नहीं हो पा रही पूरी
गुडगांव की एसजीएस लैब में कचरे का परीक्षण जारी, लेकिन पीथमपुर की क्षमता पर शंका
ब्यूरो, दिल्ली/भोपाल
एक बार फिर से यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का निष्पादन अधर में लटक गया है। गु्रप ऑफ़ मिनिस्टर्स (जीओएम) ने तय किया है कि, पहले पीथमपुर में आम औद्योगिक कचरा जलाकर देखा जाएगा और सब कुछ ठीकठाक रहने पर यूका के रासायनिक कचरे को जलाया जाएगा। इससे पहले गुडगांव की एसजीएस लैब में कचरे में शामिल रसायनों का परीक्षण भी करवाया जाएगा दूसरी ओर, इसके विरोध में गैस पीड़ित संगठनों ने सड़कों पर उतरने का अल्टीमेटम दे दिया है।
भोपाल गैस त्रासदी पर गठित मंत्री समूह की सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम् की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन, केंद्रीय आवास एवं गरीबी उन्नमूलन मंत्री कुमारी शैलजा और केंद्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ ही भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री बाबूलाल गौर और विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण मौजूद थे। बैठक में यूका के 350 मीट्रिक टन रासायनिक कचरे के निष्पादन पर चर्चा की गई। जर्मनी की कंपनी जीआईजेड के साथ ही कचरा जलाने का करार नहीं हो पाने के बाद की स्थितियों पर विचार करके तय किया गया कि कचरे को पीथमपुर में ही जलाया जाए। इसके लिए पीथमपुर के इंडस्ट्रीयल कचरे को जलाकर देखा जाएगा। इससे होने वाले प्रदूषण और प्रभाव का आंकलन करने के बाद यूका का कचरा जलाकर परीक्षण किया जाएगा। इसको परखने के बाद पूरा कचरा जला दिया जाएगा।
घातक रसायन है कचरे में
यूका के कचरे में बेहद घातक मिथाइल आइसोसाइनेट के कंपोनेंट के साथ ही आर्गे क्लोरीन है, जिसको जलाने पर डायक्सीन और फ्यूरांस निकलते हैं। इसका अंदाजा बीते जून माह में पीथमपुर में कचरे को जलाने की टेस्टिंग में हो चुका है। यूका के कचरे में इनका प्रतिशत 80 गुना तक पाया गया, जबकि निर्धारित मापदंडों के अनुसार अधिकतम .01 प्रतिशत ही होना चाहिए।
14 से हो गईं 22 बस्तियां
यूका के जहरीले कचरे के कारण भूगर्भीय जल स्त्रोत और पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूका के आसपास की 14 गैस पीड़ित बस्तियों में साफ और शुद्ध पेयजल मुहैया करवाने के निर्देश दिए थे। हालिया परीक्षणों से साफ हुआ है कि, रसायनिक कचरे के कारण आस पास की 22 बस्तियां प्रदूषित क्षेत्र बन चुकी हैं।
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पीथमपुर की प्रयोगशाला जहरीले कचरे को जलाने के मापदंडों पर खरी नहीं उतर पा रही है। इसीलिए जीओएम की बैठक में एक उप समिति गठित करने की मांग की है, ताकि देश के 22 भस्मीकरण केंद्रों में से अपशिष्ट पदार्थों के निपटारे के लिए सबसे उपयुक्त केंद्र का चयन करके कचरा निष्पादन का कार्य सौंपा जा सके।
-बाबूलाल गौर, मंत्री, गैस राहत एवं पुनर्वास
यह असली मुद्दे से ध्यान भटकाने की चाल है। केंद्र और राज्य सरकार के फैसले का विरोध भोपाल से पीथमपुर तक होगा। यूका के वेयर हाउस में बंद सिर्फ 350 मीटन कचरे के निष्पादन के लिए कवायद हो रही है, लेकिन यूका परिसर में फैले 20 हजार मी टन कचरे के निष्पादन की बात तक नहीं कर रहे हैं।
-रचना ढींगरा, भोपाल ग्रुप ऑफ़ इफार्मेशन एंड एक्शन
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यूका का कचरा- अब तक
-वर्ष 2005 में हाईकोर्ट ने यूका के कचरे के निष्पादन के निर्देश दिए, ताकि प्रदूषण को रोका जा सके। इस पर राज्य सरकार ने अंकलेश्वर, गुजरात में कचरा जलाने की घोषणा की, लेकिन गुजरात सरकार ने कचरा जलाने पर घातक रासायनिक प्रभावों की आशंका के कारण अनुमति नहीं दी।
-वर्ष 2008 में राज्य सरकार ने पीथमपुर, मध्यप्रदेश में कचरा जलाने की तैयारी शुरु की। इसका पता चलते ही स्थानीय लोगों के साथ गैस पीड़ितों ने भी विरोध शुरु कर दिया। कचरा जलाने पर होने वाले प्रभावों से निपटने की मुकम्मल तैयारी नहीं होने से यह कोशिश भी पूरी नहीं हो सकी।
-वर्ष 2010 में महाराष्ट्र के तलोजा के अलावा डीआरडीओ संस्थान में कचरा निष्पादन की कोशिश की गई, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने दो टूक मना कर दिया। मध्यप्रदेश सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने कचरा जलाने का परीक्षण तक नहीं होने दिया।
-वर्ष 2011 में औद्योगिक प्रक्षेत्र गुडगांव, हरियाणा की लैब एसजीएस में कचरे की टेस्टिंग करवाई गई। सरकार की मंशा थी कि, लैब की रिपोर्ट के आधार पर कचरे को मध्यप्रदेश में ही जलाया जा सकेगा। हालांकि, लैब की रिपोर्ट में घातक रसायनों की पुष्टि ही की गई है।
-वर्ष 2012 में फिर से केंद्र सरकार ने पीथमपुर में ही कचरा जलाने का दबाव बनाया। इसके विरोध में कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई। इसके बाद जर्मनी की कंपनी जीआईजेड से बातचीत शुरु की गई, लेकिन 25 करोड़ रुपए भुगतान को अधिक ठहराकर करार नहीं किया गया।
जहरीले कचरे का निष्पादन फिर अधर में
अक्टूबर 23, 2012
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