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उत्तरप्रदेश की सड़कों पर रोज बुझते हैं 60 घरों के चिराग

यातायात नियमों को पालन नहीं करने और सड़कों की खराब स्थिति के कारण बीते साल 25 हजार मौतें

महाश्वेता तिवारी, लखनऊ.


उत्तरप्रदेश की सड़कों पर रोज बुझते हैं 60 घरों के चिरागएक फिल्मी गाना उत्तरप्रदेश की मौजूदा हालत को बताने के लिए सटीक है कि, यहां हर मोड़ पर होता है, कोई न कोई हादसा। जी हां, हादसों का प्रदेश बन गया है उत्तर प्रदेश। यहां हर रोज किसी न किसी मोड़ पर होता है कोई न कोई हादसा। उत्तर प्रदेश में होने वाले हादसों के आंकड़ो ने इसे बना दिया है नंबर वन हादसों का प्रदेश। हादसों मे हुई मौतों के चलते यह कहना गलत नहीं है की यहां सडकों पर चलने पर मिलती है मौत। सड़को पर होने वाली मौतों से प्रदेश की सरकार भी बेहद चिंतित है, तभी तो परिवहन मंत्री ने बिना हेलमेट वाले चालकों की मोटर साइकिलों को पंपों से पेट्रोल देने पर रोक लगाने को फरमान दिया है। सड़क दुर्घटना के आंकड़ों पर नजÞर डाले तो हर साल 22 से 25 हजार मौतें होती हैं।
उत्तर प्रदेश में हर दिन 60 घरों के चिराग केवल सड़क हादसे में बुझ जाते है। उत्तर प्रदेश में 2011 मे सड़क हादसों में कुल 21512 मौतें हुई हैं। यह मौतें अलग-अलग वजहों से हुई हैं। कहीं गाडी से तो कही साइकिल और कहीं बस इन मौतों की वजह बनी। इससे यही साबित होता है कि, उत्तर प्रदेश मे सडकों पर चलना किस कदर खतरनाक है। इन मौतों को ले कर सरकार भी बेहद चिंतित है। समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को ले कर सब से पहले चिंता जताई गई। नए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दुर्घटनाओं पर रोक लगाने को लेकर ठोस प्रयास करने के निर्देश दिए हैं।

नेशनल हृयुमन राईट कमीशन की बीते वर्ष,2011 की रिपोर्ट के आंकडेÞ यह दर्शाते हैं, की किस तरह उत्तर प्रदेश बन गया है हादसों का प्रदेश-

पैदल चलनेवाले-2208
साइकिल सवार - 2338
दो पहिया वाहन - 5748
आटो रिक्शा - 059
कार, टैक्सी और अन्य हल्के वाहन - 3707
ट्रक - 2480
बस - 143
अन्य मोटर गाड़ी - 1334
हादसों के शिकार अन्य लोग जो सड़क पर किनारे खडे या चल रहे थे - 1207

वर्ष,2011 में कुल मौतें - 21512


मेडिकल बैकअप नहीं मिलता
सड़क हादसों में होने वाली ज्यादातर मौतें मेडिकल बैकअप नहीं होने या देर से पहुंचने के कारण होती हैं। उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों से हुई मौतों के आकंडेÞ इस वक्त सरकार की नींद उड़ा रहे है, क्योकि हर साल सड़क सुरक्षा के नाम पर तमाम सुविधाओं के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से 200 से 300 करोड़ रूपए दिए जाते हैं, लेकिन मौत और मुआवजे के आकंड़ो पर नजÞर डाली जाए तो कहानी कुछ और ही सामने आती है। ऐसे में सरकार आनन-फानन में उत्तरप्रदेश सड़क सुरक्षा कोष की स्थापना कर रही है।

शराब पीकर ड्राइविंग से मौतें
मौतों की अधिकतर वजहों मे से सबसे बड़ी वजह है, शराब पीकर गाड़ी चलाना। आंकडे बताते है की करीब 60 प्रतिशत मौतें शराब पी कर गाडी चलाने के कारण होती है। हर रोज करीब 60 लोगो की मौत के मामले अब इतने सामान्य हो चुके हैं की, अब वह खबर भी नहीं बनते। कई हजÞार लोगो के घर के चिराग इन सड़क हादसों ने बुझा दिए है। अब देखना होगा की क्या इस साल ये आंकडे कम होते हैं, या ये आंकडे और बढ़ कर सरकार की नींद उड़ा देते है।


कहते हैं जिम्मेदार
राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, मंत्री, परिवहन विभाग, उत्तरप्रदेश

राजा महेंद्र अरिदमन सिंह
राजा महेंद्र अरिदमन सिंह

उत्तरप्रदेश में रोड एक्सीडेंट में सर्वाधिक मौतें होती हैं। ऐसे में सड़क हादसों को रोकने के लिए समग्रता से विचार करके मुकम्मल योजना बनाने की जरुरत है। इसके अलावा जनता में जागरुकता भी होनी चाहिए, बगैर हेलमेट गाड़ी चलाने के कारण हादसों में अकारण ही मौतें होती हैं। इसलिए अब बिना हेलमेट वाले बाइक सवारों को पंपों पर पेट्रोल नहीं भरने के निर्देश दिए गए हैं। इस हेलमेट पहनने की आदत बढेगी और सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी।

जावेद उस्मानी, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश

जावेद उस्मानी
जावेद उस्मानी
प्रदेश में सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ किए जाने तथा उनके उपायों को प्रभावी ढ़ंग से लागू किए जाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा कोष की स्थापना होगी। प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में गठित समिति कोष से व्यय किये जाने हेतु योजनाओं का चयन और अनुमोदन प्रदान करने के साथ-साथ स्वीकृत योजनाओं की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति का अनुश्रवण करेगी। कोष प्रबन्धन समिति की बैठक वित्तीय वर्ष के प्रत्येक त्रैमास में अवश्य आयोजित हो।


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