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पन्ना के लापता बाघ का एक साल बाद दीदार

रेडियो कॉलर न होने से नहीं मिल रही थी लोकेशन
मड़ला वन परिक्षेत्र में युवा बाघ के हुए प्रत्यक्ष दर्शन


अरुण सिंह, पन्ना.

पन्ना के लापता बाघ का एक साल बाद दीदार
युवा बाघ पन्ना-112
 पन्ना टाइगर रिजर्व से विगत एक वर्ष पूर्व लापता हुआ बाघ शावक पार्क के मड़ला वन परिक्षेत्र में देखा गया है. लगभग तीन वर्ष के इस युवा बाघ शावक की मौजूदगी के चिन्ह 3 नवम्बर को मड़ला परिक्षेत्र की ट्रेकिंग पार्टी को मिले थे. इसके बाद क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति एवं उपसंचालक विक्र म सिंह परिहार ने प्रशिक्षित हाथियों की मदद लेकर लापता बाघ शावक का प्रत्यक्ष दीदार किया. एक वर्ष से लापता इस युवा बाघ के मिलने से प्रबंधन ने जहां राहत की सांस ली है, वहीं पार्क में खुशी का माहौल है.

क्षेत्र संचालक पनना टाइगर रिजर्व आर.श्रीनिवास मूर्ति ने यह खुशखबरी देते हुए बताया कि बाघ पुनर्स्थापना योजना के अन्तर्गत बांधवगढ़ से पन्ना लाई गई बाघिन टी-1 ने अप्रैल 2010 में शावकों को जन्म दिया था. लगभग एक साल तक लापता रहा यह बाघ शावक बाघिन टी-1 के प्रथम लिटर का दूसरा शावक है, जिसे पन्ना-112 नाम दिया गया था. पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगल में इस बाघ शावक को आखिरी बार 14 नवम्बर को स्पष्ट रूप से देखा गया था, और इसके बाद से ही यह गायब हो गया था. तब से ही पार्क की ट्रेकिंग पार्टियों द्वारा इस बाघ शावक की तलाश की जाती रही, लेकिन इसके दर्शन नहीं हुए. इसकी वजह का खुलासा करते हुए श्री मूर्ति ने बताया कि यह अकेला अर्ध वयस्क नर शावक था, जिसे रेडियो कॉलर नहीं पहनाया जा सका था. रेडियो कॉलर न पहने होने के कारण अनवरत तलाशी अभियान के बावजूद बाघ शावक का लोकेशन नहीं मिल पा रहा था. नतीजतन इस लापता शावक को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन प्रत्यक्ष दर्शन के बाद अब सबने राहत की सांस ली है.

रेडियो कॉलर पहनाने की कोशिश नाकाम
युवा अवस्था की दहलीज पर पहुंच चुके इस बाघ शावक के विचरण क्षेत्र व लोकेशन की जानकारी मिलती रहे, इस बात को दृष्टिगत रखते हुए पार्क प्रबंधन द्वारा बाघ शावक पन्ना-112 को रेडियो कॉलर पहनाने का प्रयास किया गया, लेकिन यह प्रयास अंधेरा हो जाने के कारण नाकाम हो गया. मड़ला वन परिक्षेत्र में पार्क के आला अधिकारियों की मौजूदगी में वन्य प्राणी चिकित्सक डा. संजीव गुप्ता ने डॉटगन से निशाना साधा और शावक को बेहोश कर उसे रेडियो कॉलर पहनाने का प्रयास किया. लेकिन पूर्ण रूप से बेहोशी की अवस्था में न आने के कारण मौके की परिस्थितियों को देखते हुए बाघ शावक को बेहोशी से वापस लाते हुए स्वच्छन्द विचरण हेतु मुक्त कर दिया गया. श्री मूर्ति ने बताया कि अगली बार जब भी मौका मिलेगा, तब इसे बेहोश करके रेडियो कॉलर पहनाने की कार्यवाही की जायेगी.

युवा बाघ अब बनायेगा अपना साम्राज्य
पौने तीन वर्ष का हो चुका पन्ना-112 लगभग एक वर्ष तक इलाके के जंगल में स्वच्छन्द रूप से विचरण करता रहा है. इस दौरान बाघ शावक को पन्ना टाइगर रिजर्व सहित आस-पास के जंगल की पूरी जानकारी हो गई है. जानकारों के मुताबिक बीते एक साल के दरम्यान इस युवा होते बाघ शावक ने अपने लिए उस इलाके की खोज कर ली होगी, जहां आने वाले समय में यह अपना साम्राज्य स्थापित करेगा. आमतौर पर तीन-साढ़े तीन वर्ष के नर बाघ शावक में प्रजनन क्षमता आ जाती है. यही वह समय होता है जब शावक एरिया सर्च कर अपने इलाके का निर्धारण करता है. मौजूदा समय बाघ शावक पन्ना-112 इसी संक्रमण दौर से गुजर रहा है और आने वाले कुछ ही महीनों में यह अधिक से अधिक बाघिनों को कब्जे में लेने तथा अपना साम्राज्य स्थापित करने का प्रयास करेगा ताकि वंशवृद्धि कर सके.


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